हे दुर्गा माता


आये हावँव तोर शरण मा , हे दुर्गा माता ।
मँय बालक हँव तोरे मइया , हे अटूट नाता ।।

सबके दुख ला हरथस मइया , मोरो ला हर दे ।
झोली खाली हावय माता  , येला तैं भर दे ।।

नइ जानव मँय पूजा तोरे , राग द्वेष हर दे ।
प्रेम करँव मँय सबले मइया , निर्मल मन कर दे ।।

महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया कबीरधाम
छत्तीसगढ़
Mahendra Dewangan Mati

छत्तीसगढ़ी रचना
विष्णु पद छंद
मात्रा  -- 16 +10 = 26
पदांत -- गुरु (2)

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