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औघड़ दानी

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  "औघड़ दानी" ************ भोले बाबा औघड़ दानी, जटा विराजे गंगा रानी । नाग गले में डाले घूमे , मस्ती से वह दिनभर झूमे।। कानों में हैं बिच्छी बाला, हाथ गले में पहने माला । भूत प्रेत सँग नाचे गाये, नेत्र बंद कर धुनी रमाये।। द्वार तुम्हारे जो भी आते, खाली हाथ न वापस जाते। माँगो जो भी वर वह देते, नहीं किसी से कुछ भी लेते।। महेन्द्र देवांगन "माटी" प्रेषक - सुपुत्री प्रिया देवांगन "प्रियू" पंडरिया  छत्तीसगढ़

बंधन

 बंधन (ताटंक छंद) **************** जनम जनम का बंधन है ये, हर पल साथ निभायेंगे। कुछ भी संकट आये हम पर , कभी नहीं घबरायेंगे।। गठबंधन है सात जनम का, ये ना खेल तमाशा है । सुख दुख दोनों साथ निभाये, अपने मन की आशा है।। प्रेम प्यार के इस बंधन को, भूल नहीं अब पायेंगे। जनम जनम का बंधन है ये, हर पल साथ निभायेंगे।। महेन्द्र देवांगन "माटी" प्रेषक - (पुत्री - प्रिया देवांगन "प्रियू") पंडरिया  जिला - कबीरधाम छत्तीसगढ़ Priya Dewangan Priyu