मतदान



सुन लव संगी सुनव मितान । करलव सब झन गा मतदान ।।
लोकतंत्र के इही अधार । तब होही जी नइया पार ।।

नेता मन सब आही द्वार । माथ नवाही बारंबार ।।
लालच दे के चलही चाल । फँसहू झन गा ओकर जाल ।।

दारू मुरगा बाँटय नोट । जेकर मन मा हावय खोट ।।
धोखा देके करथे चोट । देहू झन गा वोला वोट ।।

परिचय पत्र ल धर के जाव । कोनों ला गा झन डर्राव।।
छाप देख के बटन दबाव ।  वोट अपन गा देके आव ।।

एक वोट के कीमत जान । कहना ला अब तैंहर मान ।।
एक वोट ले होथे हार । काम बुता मा जावव डार ।।

महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
8602407353
Mahendra Dewangan Mati

चौपई छंद
मात्रा  -- 15 + 15 = 30
 अंत -- लघु गुरु

Comments

Popular posts from this blog

तेरी अदाएँ

अगहन बिरसपति

वेलेंटटाइन डे के चक्कर