Posts

Showing posts from July, 2020

बीमारी के रोना

Image
बीमारी के रोना बीमारी के सब रोना हे। आ गे अब कोरोना हे। मुहूँ कान ला बाँधे राहव। बार बार अब धोना हे।। धुरिहा धुरिहा घुँच के राहव। मया पिरित नइ खोना हे। जींयत रहिबो दुनिया में ता । प्रेम बीज ला बोना हे।। सबो जगा बगरे बीमारी । बाँचे नइ गा कोना हे। सवधानी सब बरतो भैया । जिनगी भर अब ढोना हे।। हाँसत खेलत दिन बीताबो। फोकट के नइ रोना हे। ये माटी के सेवा करके। करजा सबो चुकोना हे।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़़ 

प्रकृति की लीला

Image
प्रकृति की लीला देख तबाही के मंजर को, मन मेरा अकुलाता है। एक थपेड़े से जीवन यह, तहस नहस हो जाता है ।। करो नहीं खिलवाड़ कभी भी, पड़ता सबको भारी है। करो प्रकृति का संरक्षण,  कहर अभी भी जारी है ।। मत समझो तुम बादशाह हो, कुछ भी खेल रचाओगे। पाशा फेंके ऊपर वाला, वहीं ढेर हो जाओगे ।। करते हैं जब लीला ईश्वर, कोई समझ न पाता है । सूखा पड़ता जोरों से तो, बाढ़ कभी आ जाता है ।। संभल जाओ दुनिया वालों, आई विपदा भारी है। कैसे जीवन जीना हमको, अपनी जिम्मेदारी है ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati