घाम के दिन


चैतू रेंगत जावय गाँव । चट चट जरथे वोकर पाँव ।।
रुख राई के नइहे छाँव । कँउवा बइठे करथे काँव ।।

सुक्खा परगे तरिया बोर । पानी नइहे कोनों छोर ।।
खोजत हावय बड़ लतखोर । जावय नदियाँ कोरे कोर ।।

सबझन आज लगावव पेड़ । बारी बखरी भाँठा मेंड़ ।।
झन कर संगी मन ला ढेर । नइ ते होही भारी देर ।।

रुख राई ले मिलही छाँव । दिखही सुघ्घर सबके गाँव ।।
ककरो जरय नहीं तब पाँव । होही जग मा तुहरें नाँव ।।

महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
Mahendra Dewangan Mati

चौपई छंद
मात्रा  -- 15 + 15 = 30
पदांत -- गुरु लघु

Comments

Popular posts from this blog

तेरी अदाएँ

अगहन बिरसपति

वेलेंटटाइन डे के चक्कर