तेरी अदाएँ
तेरी अदाएँ
काली काली जुल्फों को क्यूँ , नागिन सी लहराती हो ।
चंचल नयना शोख अदाएँ , क्यों हरदम इठलाती हो । ।
लाल गुलाबी होंठ शराबी , देख नशा चढ जाता है ।
फूलों सी खुशबू को पाकर, भौरा गाने गाता है ।।
कली गुलाब सी कोमल काया , धूप लगे मुरझाती हो ।
चंचल नयना शोखअदाएँ , क्यों हरदम इठलाती हो ।।
पाँवो की पायल से तेरी, धुन संगीत निकलता है ।
सुन आवाजें ताल मारकर , आशिक रोज थिरकता है ।।
कोयल जैसी कंठ तुम्हारे , गीत मधुर तुम गाती हो ।
चंचल नयना शोखअदाएँ , क्यों हरदम इठलाती हो ।।
माथे की बिन्दी यूँ चमके , जैसे चाँद सितारे हों ।
दाँत तुम्हारे चमके ऐसे , ज्यों मोती की हारें हों ।।
भर भर कंगन पहन हाथ में ,चूड़ी क्यों खनकाती हो ।
चंचल नयना शोख अदाएँ , क्यों हरदम इठलाती हो ।।
परियों की रानी लगती हो , सबका मन हर लेती है ।
नैनों से तुम बाण चलाकर , घायल सब कर देती है ।।
घोर घटा छा जाती है जब , जुल्फों को लहराती हो ।
चंचल नयना शोख अदाएँ , क्यों हरदम इठलाती हो ।।
चंचल चितवन मस्त अदाएँ , क्या जादू कर जाती हो ।
देख तुझे सब आहें भरते , दिल को क्यों तड़पाती हो ।।
चाँद निकल आता है जैसे , आँचल को सरकाती हो ।
चंचल नयना शोख अदाएँ , क्यों हरदम इठलाती हो ।।
(ताटंक छंद)
रचनाकार
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
Mahendra Dewangan Mati
( चित्र गुगल से साभार )
Behtrin Bhiya
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteजबर्दस्त भैय्या जी
ReplyDeleteगुगल में नवा भाभी मिल गे का गो (क्षमा)
धन्यवाद गोस्वामी जी
DeleteNice lines Sir... Really admirable..
ReplyDeleteधन्यवाद महोदय
Deleteगजब
ReplyDeleteधन्यवाद इजारदार गुरुजी
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद सर जी
Deleteगजब माटी जी वाहह्ह्ह्हह्ह
ReplyDeleteधन्यवाद कश्यप जी
DeleteGajab
ReplyDeleteधन्यवाद महोदय
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