चौपई छंद
राम नाम के महिमा ( चौपई छंद)
राम नाम के महिमा सार । बाकी हावय सब बेकार ।।
भज ले तैंहा येकर नाम । बन जाही सब बिगड़े काम ।।
जिनगी के हावय दिन चार । झन कर तैंहा अत्याचार ।।
मोह मया ला तैंहर त्याग । खुल जाही जी तोरे भाग ।।
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(2)
हमर देश ( चौपई छंद)
सुनलव संगी सुनव मितान । देश हमर हे अबड़ महान ।।
सबझन गाथे येकर गान । सैनिक चलथे सीना तान ।।
गंगा यमुना नदियाँ धार । हरियर हरियर खेती खार ।।
उपजाथे सब गेहूँ धान । खुश रहिथे गा सबो किसान ।।
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(3)
हनुमान जी (चौपई छंद)
जय बजरंग बली हनुमान । सबले जादा तैं बलवान ।।
महिमा हावय तोर अपार । कोनों नइ पाइन गा पार ।।
राम लला के तैंहर दूत । तोर नाम ले काँपय भूत ।।
लेथे जेहा तोरे नाम । तुरते होथे ओकर काम।।
रचनाकार
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
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