कलिंदर खाव रोग भगाव

कलिंदर खाव रोग भगाव

कलिंदर के नाम सुनते साठ मुँहू मा पानी आ जाथे । काबर कलिंदर खाय मा बहुत मजा आथे , अउ विटामिन भी भरपूर रहिथे ।
नान - नान लइका मन जब कलिंदर खाथे त ओकर पानी ह हाथ के कोहनी तक चुचवात रहिथे । कपड़ा लत्ता सबो सना जाथे । देखइया मन तक भारी मजा लेथे ।
कलिंदर ल हिन्दी मा तरबूज कहे जाथे ।

रुप रंग ------- कलिंदर के फर ह गोल आकार के होथे । येकर वजन ह एक किलो से दस किलो तक घलो होथे । एकर उपर ह हरियर रंग के होथे अउ भीतरी ह लाल रंग के होथे । लाल - लाल गुदा के बीच - बीच मा छोटे - छोटे करिया - करिया बीजा घलो रहिथे ।
कलिंदर के लाल भाग ल खाय जाथे अउ बीजा ल फेंक देथे या बीजहा राखे के काम आथे ।

सुवाद ------ कलिंदर मा पानी के मात्रा जादा रहिथे , फेर खाय मा बहुत स्वादिष्ट अउ मीठा लागथे । येला लइका सियान सबोझन रुचि पूर्वक खाथे ।
भोभला मनखे मन तक येला चबा के खा सकथे ।

खेती ---------- कलिंदर के फसल ह गरमी के मौसम मा जादा होथे । जतके जादा गरमी रहिथे ओतके जादा एकर फसल होथे ।
कलिंदर के फसल ह रेती मा या रेती वाला माटी मा जादा होथे । एकर अधिकांश खेती ह नदियाँ के किनारे जादा होथे । नदियाँ के रेती मा भी येला बोंये जाथे ।
नदियाँ के तीर मा बोंथे तेमन ह येला अक्टूबर  - नवंबर मा बोंथे अउ मैदानी क्षेत्र वाले मन फरवरी  - मार्च मा बोंथे ।
येला क्यारी बना के बोंये जाथे । एकर नार ह बहुत लंबा  - लंबा होथे ।

कलिंदर के फायदा --------- कलिंदर खाये मा बहुत सुवाद तो रहिथे ही साथ मा बहुत फायदा भी होथे ।
(1) येहा खाना ल जल्दी पचाथे ।
(2) रोज खाय से मोटापा कम होथे ।
(3) तवचा रोग मा बहुत फायदा करथे ।
(4) सेंधा नून ल डार के खाय ले खट्टा डकार बंद हो जाथे ।
(5) येमा विटामिन ए बी सी अउ लोहा के मात्रा भरपूर पाये जाथे , जेकर से खून के कमी दूर होथे अउ साफ होथे ।

सावधानी  ---------- कलिंदर ल रात मा नही खाना चाहिए ।
रात मा खाये से शरीर ल नुकसान होथे । अइसे डाक्टर मन बताये हे ।
गर्भवती महिला मन ल भी जादा कलिंदर नइ खाना चाहिए ।
एकर से नुकसान हो सकथे ।

कलिंदर ह हमर देश के सबो जगह मिलथे । गरमी के दिन मा जगा - जगा ठेला मन मा भी बेंचात रहिथे ।
येला मंझनिया कुन खाय ले जादा मजा आथे ।

लेखक
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
8602407353
Mahendra Dewangan Mati

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