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Showing posts from November, 2020

सरस्वती वंदना

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  "सरस्वती वंदना"  (गीतिका छंद)  ज्ञान के भंडार भर दे , शारदे माँ आज तैं । हाथ जोंड़व पाँव परके , राख मइयाँ लाज तैं ।। कंठ बइठो मातु मोरे , गीत गाँवव राग मा । होय किरपा तोर माता,  मोर सुघ्घर भाग मा ।। तोर किरपा होय जे पर , भाग वोकर जाग थे । बाढ़ थे बल बुद्धि वोकर , गोठ बढ़िया लाग थे ।। बोल लेथे कोंदा मन हा , अंधरा सब देख थे । तोर किरपा होय माता  , पाँव बिन सब रेंग थे ।। रचनाकार महेंद्र देवांगन *माटी* पंडरिया जिला - कबीरधाम छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati

मुनिया रानी

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  "मुनिया रानी"  (बालगीत ) ( चौपाई छंद ) भोली भाली मुनिया रानी । पीती थी वह दिनभर पानी ।। दादा के सिर पर चढ़ जाती। बड़े मजे से गाना गाती ।। दादा दादी ताऊ भैया । नाच नचाती ताता थैया।। खेल खिलौने रोज मँगाती। हाथों अपने रंग लगाती।। भैया से वह झगड़ा करती। पर बिल्ली से ज्यादा डरती।। नकल सभी का अच्छा करती। नल में जाकर पानी भरती।। दादी की वह प्यारी बेटी । साथ उसी के रहती लेटी।। कथा कहानी रोज सुनाती। तभी नींद में वह सो जाती।। रचनाकार महेन्द्र देवांगन "माटी" पंडरिया जिला - कबीरधाम छत्तीसगढ़