Posts

Showing posts with the label दोहे

माटी के दोहे - 1

Image
(1) माटी के काया हरय,  माटी मा मिल जाय । झन कर गरब गुमान तैं , काम तोर नइ आय ।। (2) गाँव गाँव बाजा बजे,  गावत हावय फाग । रंग गुलाल उड़ात हे , झोंकय सब झन राग ।। (3) आमा मउरे बाग मा , कोयल मारत कूक । धनी मोर आवत हवे ,  जियरा होवत धूक ।। (4) पउधा लगाव जतन से,  सुंदर दिखही गाँव । खाबो फल हम रोज के,  मिलही हमला छाँव ।। (5) राम नाम अनमोल हे , येकर कर लव जाप । महामंत्र येहा हरे , कट जाही सब पाप ।। (6) मीठा बोली बोल ले , झन कर तैंहा भेद । एक बोल मधुरस सहीं, दूसर करथे छेद ।। (7) लक्ष्मी दुर्गा कालिका , नारी देवी जान । राखव येकर मान जी,  होये झन अपमान ।। (8) हाँसी खुशी बोल ले, जिनगी के दिन चार । कब आ जाही काल हा , कोइ न पाये पार ।। (9) दया करव सब जीव बर , कोनों ल झन सताव । सबके एके जीव हे , मिल बांट के खाव ।। (10) माता जी के दरश बर, जावत हव मय आज । देके दरशन मोर तैं , पूरा करबे काज ।। (11) काम करव अइसे तुमन , आवय सबके काम । लोगन सब सुरता करय,  जग मा होवय नाम ।। (12) ठगजग बाढ़त दिनों दिन, करत हावय धंधा । असली साधु चुप बइठे  , नकली लेवत चँदा ।। (13) सोना सोना स