गरमी ले बचव


गरमी ले बचव

गरमी के मौसम में बहुत गरम - गरम हवा चलत रहिथे । घर ले निकले के मन नइ करय । सूरज देव ह आकाश ले आगी बरसात रहिथे । धरती ह लकलक ले तीप जथे अउ अबड़ भोंभरा जरे ल धर लेथे ।
जादा घाम में निकले ले कई प्रकार के बीमारी घलो हो जथे ।
जइसे  --- आदमी ल चक्कर आ जाथे । फोड़ा फुंसी हो जाथे । पेट में पीरा होथे । अनपचक हो जाथे । उल्टी दस्त हो जाथे अउ बुखार भी हो जाथे ।
आदमी ल झोला (लू ) घलो लग जाथे ।
एकर सेती गरमी के मौसम में बहुत सावधानी बरतना चाहिए अउ गरमी ले बच के रहना चाहिए ।
मनखे ल कुछु न कुछु काम से बाहिर निकले ल पर जथे । त घाम ले बचे बर कुछ उपाय कर लेना चाहिए ।

झोला ( लू ) ले बचे के उपाय -------
(1) गरमी के मौसम में घाम ले बचे बर मुड़ में साफी बाँध लेना चाहिए या छाता धर के जाना चाहिए ।
(2) पानी के उपयोग जादा करना चाहिए । हमेशा पानी पी के बाहिर निकलना चाहिए ।
(3) खाली पेट नइ निकलना चाहिए । कुछ न कुछ खा पी के निकलना चाहिए ।
(4) नींबू पानी के उपयोग जादा करना चाहिए ।
(5) गोंदली ( प्याज ) ल जेब में धर के जाना चाहिए ।
(6) सूती कपड़ा के जादा उपयोग करना चाहिए ।
(7) जादा मिरची मशाला वाला खाना नइ खाना चाहिए ।
(8) फल फूल अउ जूस के उपयोग जादा करना चाहिए ।
(9) कुलर या ए सी ले निकल के तुरते घाम में नइ जाना चाहिए ।
(10) घाम ले आय के बाद तुरते ठंडा पानी नइ पीना चाहिए ।

ये सब सावधानी बरते ले आदमी ह लू लगे से या बीमारी से बच सकत हे । आदमी ल हर पल सावधानी बरतना चाहिए ।
खासकर लइका मन ल भी घाम ले बचा के रखना चाहिए ।
येकरे सेती कहिथे -- सावधानी हटी तो खतरा घटी ।

लेखक
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया (कबीरधाम)
छत्तीसगढ़
8602407353
Mahendra Dewangan Mati

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