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मतदान

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सुन लव संगी सुनव मितान । करलव सब झन गा मतदान ।। लोकतंत्र के इही अधार । तब होही जी नइया पार ।। नेता मन सब आही द्वार । माथ नवाही बारंबार ।। लालच दे के चलही चाल । फँसहू झन गा ओकर जाल ।। दारू मुरगा बाँटय नोट । जेकर मन मा हावय खोट ।। धोखा देके करथे चोट । देहू झन गा वोला वोट ।। परिचय पत्र ल धर के जाव । कोनों ला गा झन डर्राव।। छाप देख के बटन दबाव ।  वोट अपन गा देके आव ।। एक वोट के कीमत जान । कहना ला अब तैंहर मान ।। एक वोट ले होथे हार । काम बुता मा जावव डार ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendra Dewangan Mati चौपई छंद मात्रा  -- 15 + 15 = 30  अंत -- लघु गुरु

पढ़व लिखव

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सुन लव संगी सुनव मितान । पढ़ लिख के गा बनव महान ।। पढ़बे लिखबे मिलही ज्ञान । होही तब  तुँहरे कल्यान ।। बस्ता धर के पढ़ेल जाव । पढ़ लिख के सब नाम कमाव । अव्वल नंबर सबझन आव । पुरखा के सब नाम जगाव ।। कहिनी किस्सा सुनहू रोज । बन वैज्ञानिक करहू खोज ।। भागव झन जी जावव सोज । विद्यालय मा करहू भोज ।। खाये बर गा मिलथे भात । मारव झन तुम येला लात ।। माटी के जी  मानव बात । झनकर बेटा तैंहर घात ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ चौपई छंद मात्रा  -- 15 + 15 = 30 पदांत -- गुरु लघु

घाम के दिन

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चैतू रेंगत जावय गाँव । चट चट जरथे वोकर पाँव ।। रुख राई के नइहे छाँव । कँउवा बइठे करथे काँव ।। सुक्खा परगे तरिया बोर । पानी नइहे कोनों छोर ।। खोजत हावय बड़ लतखोर । जावय नदियाँ कोरे कोर ।। सबझन आज लगावव पेड़ । बारी बखरी भाँठा मेंड़ ।। झन कर संगी मन ला ढेर । नइ ते होही भारी देर ।। रुख राई ले मिलही छाँव । दिखही सुघ्घर सबके गाँव ।। ककरो जरय नहीं तब पाँव । होही जग मा तुहरें नाँव ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati चौपई छंद मात्रा  -- 15 + 15 = 30 पदांत -- गुरु लघु

पानी अनमोल हे

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पानी हावय बड़ अनमोल । फोकट के तैं नल झन खोल ।।  राखव बचा बचा के आज । सबके बनही तब जी काज ।। पानी बिन जिनगी बेकार । हो जाही सबझन लाचार ।। मछरी जइसे तड़पे प्रान , सबके निकल जही गा जान ।। नदियाँ नरवा तरिया बोर , बिहना ले होवत हे शोर ।। पानी बर भौजी हा जाय । लड़ई झगरा करके लाय ।। एक कोस मा रामू जाय । काँवर धरके पानी लाय ।। थक के वोहा बड़ सुरताय । भौजी हा अब्बड़ चिल्लाय ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendra Dewangan Mati चौपई छंद विधान- -- मात्रा  -- 15 , 15 = 30 4 चरण अंत में गुरु लघु

नाम बड़े दर्शन छोटे

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जय गंगान ................... कइसे कइसे हावय नाम । नाम बरोबर नइहे काम ।। कतको झन करथे बदनाम । कोनों करय नहीं आराम ।। दान वीर हा माँगे भीख । लेख राम के मुड़ मा लीख ।। कोमल हावय बहुते ढीठ । मनराखन नइ बोलय मीठ ।। नैन सिंग के नइहे नैन । चैन सिंग ला नइहे चैन ।। पान सिंग नइ खावय पान । दानी राम करय नइ दान ।। सरवन हा नइ मानय बात । दाई ला मारय गा लात ।। घूम घूम के वोहर खात । घर मा झगरा रोज मतात ।। आशा के तैं झन कर आस । खुशबू बाई मारय बास ।। लक्ष्मी बाई लानय घास । रानी के नइहे गा दास ।। नाम बड़े हे दर्शन छोट । मन मा हावय कतको खोट ।। रोज भिखारी गिनथे नोट । कोटवार कर नइहे कोट ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati चौपई छंद ( जयकरी , जयकारी , बसदेवा गीत भी कहे जाथे ) नियम  -- 15 + 15 = 30 मात्रा  सबो लाइन शुरवात द्वि कल से होना चाहिए पदांत -- गुरु लघु

बासी ( चौपई छंद)

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बासी खा ले मिरचा संग । झन करबे तै मोला तंग ।। बढ़ जाही रे तोर उमंग । करबे झन काँही उतलंग ।। खा ले बासी बिहना बोर । मुनगा संग बरी के झोर ।। राँधे हावय दाई तोर । फोकट के झन दाँत निपोर ।। बिहना ले उठथे मजदूर । खा के बासी जाथे दूर । चटनी अउ आमा के कूर । मेहनत करय तब भरपूर ।। अब्बड़ परत हवय जी  घाम । चट चट जरही सबके चाम ।। खा के बासी करबे काम। सिरतो मा मिलही आराम। खावय जे बासी अमचूर । पाय विटामिन वो भरपूर ।। बीमारी सब होवय दूर ।  होवय नहीं कभू मजबूर ।। बासी खावय हमर सियान । बाँटय वोहर सबला ज्ञान ।। लइका मन बर देवय ध्यान । सबझन के करथे कल्यान ।। खावय चैतू चाँटय हाथ । भोंदू देवय वोकर साथ ।। पकलू देखय पीटय माथ । अक्कल दे दे भोलेनाथ ।। बासी खावत "माटी "आज । डारे हावय मिरचा प्याज ।। खाये मा हे काबर लाज । चटनी बासी सबके ताज ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati चौपई छंद विधान  -- 15 , 15 = 30 मात्रा चरन -- 4 पदांत --- गुरु लघु शुरुवात द्वि कल से होना चाहिये ।