माता ला परघाबो
आवत हावय दुर्गा दाई, चलव आज परघाबो ।
नाचत गावत झूमत संगी , आसन मा बइठाबो ।।
लकलक लकलक रूप दिखत हे , बघवा चढ़ के आये ।
लाली चुनरी ओढे मइया , मुचुर मुचुर मुस्काये ।।
ढोल नँगाड़ा ताशा माँदर , सबझन आज बजाबो ।
आवत हावय दुर्गा दाई , चलव आज परघाबो ।।
नव दिन बर आये हे माता , सेवा गजब बजाबो ।
खुश होही माता हमरो बर , अशीष ओकर पाबो ।।
नव दिन मा नव रुप देखाही , श्रद्धा सुमन चढाबो ।
आवत हावय दुर्गा दाई , चलव आज परघाबो ।।
सुघ्घर चँऊक पुराके संगी , तोरन द्वार सजाबो।
ध्वजा नरियर पान सुपारी , वोला भेंट चढ़ाबो ।।
गलती झन होवय काँही अब , मिलके सबो मनाबो ।
आवत हावय दुर्गा दाई , चलव आज परघाबो ।।
रचनाकार
महेन्द्र देवांगन माटी (शिक्षक)
पंडरिया छत्तीसगढ़
8602407353
सार छंद
मात्रा -- 16 + 12 = 28
पदांत -- दो गुरु
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