नवरात्रि के महिमा




माँ जगरंबा के महिमा अपरंपार हे । माता के प्यार अउ त्याग के तुलना कोनों से नइ करे जा सकय । जेकर ऊपर माँ दुर्गा के कृपा हो जाथे , ओकर भाग्य उदय हो जाथे ।
माता के आशीर्वाद से सब प्रकार के मनोकामना पूरा हो जाथे अउ आदमी ल मोक्ष के प्राप्ति होथे ।

शक्ति अउ आराधना के पर्व ------ नवरात्रि के पर्व ह आदि शक्ति दुर्गा दाई के पूजा, आराधना अउ शक्ति के पर्व आय । नवरात्रि में कतको मनखे उपवास रहिथे अउ नौ दिन तक पूजा पाठ , जाप अउ तप भी करथे । एकर से सिद्धी अउ शक्ति मिलथे ।
नवरात्रि के पर्व में नौ दिन तक माँ दुर्गा के अलग-  अलग रुप में पूजा करे जाथे ।
नवरात्रि पर्व साल में दू बार मनाये जाथे ।
(1) चैत मास में  अउ (2) कुंवार मास में ।
चैत मास के नवरात्रि ल बसंत नवरात्रि भी कहे जाथे ।
हिन्दू नववर्ष के शुरुवात भी इही दिन होथे ।

कलश स्थापना  -------- नवरात्रि में माता जी के पूजा ह नौ दिन तक चलथे । एकर पूजा करे बर सबले पहिली कलश के स्थापना करे जाथे । कलश ल भगवान गणेश जी के रुप माने जाथे । कोई भी शुभ काम करे के पहिली गणेश जी के पूजा करे जाथे , तभे काम ह सफल होथे ।
नवरात्रि में भी सबले पहिली गणेश जी के पूजा करे जाथे अउ कलश के स्थापना करे जाथे ।

कलश स्थापना के विधान  ---------- कलश स्थापना के पहिली पूजा के जगह ल गोबर से लीप के शुद्ध करे जाथे । चँउक पूरे जाथे फेर लकड़ी के पीढहा या पाटा ल रखे जाथे । पीढहा के ऊपर लाल कपड़ा बिछाय जाथे । लाल कपड़ा के ऊपर में चावल रखे जाथे अउ कलश के स्थापना करे जाथे ।
कलश में सिक्का या सुपारी भी डारे जाथे ।
नरियर अउ फूल पान तक चढाय जाथे ।

अखंड जोत ------- नवरात्रि में माता जी के आघू में अखंड जोत जलाय जाथे । ये जोत ह नौ दिन तक बिना बुझे जलत रहिथे । अखंड जोत घी या तेल दूनों से जलाय जाथे । नौ दिन तक येकर देखभाल अउ सेवा करे जाथे । जोत के बुझना अशुभ माने जाथे ।

जस गीत  अउ भजन- ---------- नवरात्रि पर्व में नौ दिन तक भक्ति भाव से ओतप्रोत रहिथे । माता के दरबार में भक्त मन जस गीत अउ भजन गाथे । जस गीत ल सुन के कतको मनखे मन नाचे ल धर लेथे । जस गीत में माता के महिमा के बखान करे जाथे ।

माँ दुर्गा के नव रुप ------------ नवरात्रि में माता दुर्गा के नौ दिन तक अलग  - अलग रुप में पूजा करे जाथे ।
(1) शैलपुत्री ---- नवरात्रि के पहिली दिन शैलपुत्री के पूजा करे जाथे ।
एकर वाहन वृषभ  (बैल ) हरे ।
येला सती के नाम ले भी जाने जाथे ।

(2) ब्रम्हचारिणी ---- नवरात्रि के दूसर दिन ब्रम्हचारिणी देवी के पूजा करे जाथे । ब्रम्ह के अर्थ हे -- तपस्या अउ चारिणी के अर्थ हे -- आचरण करने वाली ।
ये प्रकार से एकर मतलब हे तप का आचरण करने वाली ।
माता ब्रम्हचारिणी के रुप अति मनमोहक हे अउ मनोकामना पूरा करने वाली देवी हरे ।

(3) चंद्रघंटा ------ माँ के तीसरा शक्ति के नाम चंद्रघंटा हे ।
एकर मुड़ मा घंटा के आकार के  आधा चंद्र हे । एकर सेती येला चंद्रघंटा कहे जाथे ।
येहा शेर में बइठे रहिथे अउ सबो हाथ में हथियार धरे रहिथे ।

(4) कुष्मांडा ------ माता के चौथा रुप के नाम हे कुष्मांडा ।
येला ब्रम्हांड के निर्माता माने जाथे । येकर तेज प्रकाश से दसो दिशा चमकत रहिथे ।

(5) स्कंदमाता ---- माँ जगदंबा के पाँचवा रुप हे स्कंदमाता ।
येकर रुप बहुत ही सुंदर हे । येहा कमल फूल में बइठे रहिथे अउ दूनो हाथ में कमल धरे रहिथे ।

(6) कात्यायनी ----- माता जी के छटवाँ रुप हे कात्यायनी देवी । येकर कृपा पाय बर तपस्या करे बर परथे , अउ भक्ति भाव से पूजा करे ल परथे ।

(7) कालरात्रि ----- माँ दुर्गा के नौवा रुप कालरात्रि हरे । येला माता के भंयकर रुप माने जाथे । येकर शरीर से आगी निकलत रहिथे ।

(8) महागौरी ----- आठवाँ शक्ति महागौरी के रुप में माने जाथे । येकर रुप बहुत सुंदर  अउ मनमोहक हे । येहा भक्त के ऊपर जल्दी कृपा करथे ।

(9) सिद्धि  दात्री ----- माँ दुर्गा के नौवाँ रुप सिद्धि दात्री हे ।
येकर पूजा से सब प्रकार के सिद्धि प्राप्त होथे अउ मनोकामना पूरा होथे ।

कन्या पूजन ------ नवरात्रि के  आठवाँ या नौवाँ दिन कन्या पूजन करे जाथे । नौ कुंवारी लड़की ल देवी के नौ रुप मानके श्रद्धा पूर्वक पूजा पाठ अउ भोजन कराये जाथे ।
नौ कन्या से  आशीर्वाद ले जाथे अउ दान दक्षिणा करें जाथे ।

ये प्रकार से नवरात्रि ल पूरा श्रद्धा के साथ नौ दिन तक पूजा करे जाथे । माता दुर्गा के कृपा से सब प्रकार के रोग , दोष , कष्ट,  कलह दूर हो जाथे , अउ घर में सुख , शांति,  समृद्धि आथे ।

बोलो दुर्गा माता की जय ।

महेन्द्र देवांगन माटी (शिक्षक)
गोपीबंद पारा पंडरिया
जिला  - कबीरधाम
(छत्तीसगढ़)
8602407353
Mahendra Dewangan Mati 

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