पानी अनमोल हे



पानी हावय बड़ अनमोल । फोकट के तैं नल झन खोल ।।
 राखव बचा बचा के आज । सबके बनही तब जी काज ।।

पानी बिन जिनगी बेकार । हो जाही सबझन लाचार ।।
मछरी जइसे तड़पे प्रान , सबके निकल जही गा जान ।।

नदियाँ नरवा तरिया बोर , बिहना ले होवत हे शोर ।।
पानी बर भौजी हा जाय । लड़ई झगरा करके लाय ।।

एक कोस मा रामू जाय । काँवर धरके पानी लाय ।।
थक के वोहा बड़ सुरताय । भौजी हा अब्बड़ चिल्लाय ।।

महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
8602407353
Mahendra Dewangan Mati

चौपई छंद
विधान- --
मात्रा  -- 15 , 15 = 30
4 चरण
अंत में गुरु लघु

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