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मुनिया रानी

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  "मुनिया रानी"  (बालगीत ) ( चौपाई छंद ) भोली भाली मुनिया रानी । पीती थी वह दिनभर पानी ।। दादा के सिर पर चढ़ जाती। बड़े मजे से गाना गाती ।। दादा दादी ताऊ भैया । नाच नचाती ताता थैया।। खेल खिलौने रोज मँगाती। हाथों अपने रंग लगाती।। भैया से वह झगड़ा करती। पर बिल्ली से ज्यादा डरती।। नकल सभी का अच्छा करती। नल में जाकर पानी भरती।। दादी की वह प्यारी बेटी । साथ उसी के रहती लेटी।। कथा कहानी रोज सुनाती। तभी नींद में वह सो जाती।। रचनाकार महेन्द्र देवांगन "माटी" पंडरिया जिला - कबीरधाम छत्तीसगढ़

औघड़ दानी

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  "औघड़ दानी" ************ भोले बाबा औघड़ दानी, जटा विराजे गंगा रानी । नाग गले में डाले घूमे , मस्ती से वह दिनभर झूमे।। कानों में हैं बिच्छी बाला, हाथ गले में पहने माला । भूत प्रेत सँग नाचे गाये, नेत्र बंद कर धुनी रमाये।। द्वार तुम्हारे जो भी आते, खाली हाथ न वापस जाते। माँगो जो भी वर वह देते, नहीं किसी से कुछ भी लेते।। महेन्द्र देवांगन "माटी" प्रेषक - सुपुत्री प्रिया देवांगन "प्रियू" पंडरिया  छत्तीसगढ़