नक्सल वादी
(आल्हा छंद)
जीना मुश्किल हो गे संगी , कइसे बचही अब तो प्रान ।
नक्सल वादी हमला करके , लेवत हावय सबके जान ।।
जंगल भीतर खुसरे हावय , छूप छूप के करथे वार ।
पुलिस सिपाही नेता मन ला , मौका पा के देथे मार ।।
गोला बारुद बम अउ बंदुक , कइसे पाथे ये हथियार ।
आका बनके बइठे कोनों , हावय जउन हा मददगार ।।
बढ़गे हावय नक्सल वादी , सेना ला अब देवव छूट ।
मार भगावव बैरी मन ला , जनता ले जे करथे लूट ।।
छेंक छेंक के मारव अब तो , जाये झन अब कोनों भाग ।
नाम मिटा दो येकर मन के , गोली ऊपर गोली दाग ।।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
Mahendra Dewangan Mati
आल्हा छंद
मात्रा -- 16 + 15 = 31
पदांत -- गुरु लघु
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