जागो



जाग सबेरे चिड़ियाँ चहके , कोयल गाना गाये ।
कमल ताल में खिले हुए हैं  , सबके मन को भाये ।।
रंभाती हैं गैया देखो  , बछड़ा भी  रंभाये ।
दाना पानी लेकर अब तो , मोहन भैया आये ।।
उठ जाओ अब सोकर प्यारे  , मुर्गा बाँग लगाये ।
आलस छोड़ो बिस्तर त्यागो , सबको आज जगाये ।।
माटी पुत्र चले खेतों में  , हल को लेकर जाये ।
इस माटी का कण कण पावन,  माथे तिलक लगायें ।।

महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
12/04/19
Mahendra Dewangan Mati

सार छंद
मात्रा  -- 16 + 12 = 28
पदांत -- एक गुरु या दो लघु
दो गुरु आने से लय अच्छा बनता है ।

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