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Showing posts from March, 2020

कोरोना के रोना

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कोरोना के रोना ( सार छंद) जब ले आये हे कोरोना, सबके होगे रोना। साफ सफाई सुघ्घर राखव, हाथ मुँहू ला धोना।। आवव जावव फोकट के झन, घर मा बइठे राहव। हाथ मिलाना छोड़व संगी, नमस्ते सबो काहव।। अदर कचर झन खावव भैया, बीमारी हा होथे।  माने नइ जे बात काकरो, उही आदमी रोथे।। सरदी खाँसी जर बुखार मा, डाक्टर कर ले जावव। मुँहू कान ला बाँधे राहव, बढ़िया जाँच करावव।। काल बरोबर हे कोरोना, दुनिया भर मा छागे। दिखय नहीं कोनों ला येहा, एकर से डर लागे।। रहो सावधानी से भैया,  येला मार भगावव । जनता करफू पालन करलव, घर मा सबझन राहव।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati @

कोरोना आल्हा छंद

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कोरोना वायरस  (आल्हा छंद) फइले हे कोरोना संगी, मच गेहे गा हाहाकार। चीन देश ले आये हावय, एकर आघू सबो लचार।। देश बिदेश सबो जग फैलत, मनखे हावय सब परशान। खतरा हावय अब्बड़ येहा, वैज्ञानिक मन हे हैरान ।। हाथ मुँहू ला धोवव सुघ्घर, साबुन सोडा रोज लगाव। साफ सफाई घर मा राखव, भीड़ भाड़ मा कभू न जाव।। सरदी खाँसी छीक ह आथे, डाक्टर कर तुरंत ले जाव। पानी ला उबाल के पीयव, कोरोना ला दूर भगाव।। हाथ मिलाना छोड़व संगी, कर धुरीहा ले नमस्कार । मुँहू कान ला बाँध के राखव, कोरोना के होही हार।। माँस मदिरा पीना छोड़व ,  ताजा भोजन घर मा खाव। बरतो सब सवधानी भैया , कोरोना ला झन डर्राव।। रचनाकार महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati @

कोरोना के कहर

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कोरोना के कहर वाह रे कोरोना - सब जगा होगे हे रोना। आज देश विदेश सबो जगा एक्केच बात के चरचा हे। वो हरे कोरोना वायरस के । कोरोना वायरस के कहर ह चीन से निकल के दुनिया के 122 देश में फैल गेहे। माने जाथे के येहा अब तक के सबले बड़े कहर बरपाने वाला वायरस हरे। एकर चपेट में आ के लगभग 5000 ले जादा आदमी मन अपन जान गँवा चुके हे। ये बहुत बड़े चिंतनीय बात हरे। विश्व स्वास्थ्य संगठन  (W H O) ह येला महामारी घोषित कर चुके हे। आदमी मन ल सावधानी बरते के निर्देश बार - बार सरकार ह देवत हे। कोरोना वायरस का हरे ------- कोरोना वायरस ह एक अइसे सूक्ष्म वायरस हरे जेहा आदमी के शरीर में पहुंच के बहुत जल्दी अपन प्रभाव देखाथे। सबले पहिली येहा चीन के वुहान नगर से शुरू होइस अउ दुनिया भर में तेजी से फैल गेहे। एकर अभी तक कोनों पक्का इलाज नइ निकले हे। वैज्ञानिक मन एकर बारे में बहुत शोध करत हे। ये वायरस ल इबोला, सार्स, अउ स्वाइन फ्लू जइसे वायरस ले कोरोना ल सबले जादा खतरनाक वायरस माने जावत हे। बीमारी के लक्षण  --------- कोरोना वायरस के लक्षण सर्दी,  खाँसी,  बुखार, गले में खराश, साँस ले में तकलीफ इही एकर लक्षण

कोरोना वायरस

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कोरोना वाइरस जगह जगह होवत हे कोरोना के चरचा। वायरस फैलत हे कहिके बाँटत हे परचा।। टीवी हो चाहे मोबाइल हो , दिनभर कोरोना वायरस ला दिखात हे। कइसे बचना हे कहिके तरीका सीखात हे।। विदेश में फैले कोरोना ह अब ,हमर देश म आवत हे। विदेशी मन आ आ के , बीमारी फैलावत हे।। मुहूं बांध के रेंगत आदमी ह ,अब नई चिन्हात हे। विदेशी मन आ आ के ,कोरोना फैलात हे।। रायपुर में आगे कोरोना कहिके ,आदमी मन डर्रात हे। कोरोना से बचे के तरीका ल , टीवी में बतात हे।। हेलो करे ला छोडो , नमस्ते करे ल सीखात हे। कोनो खाँसत आदमी त , डॉक्टर ल दिखात हे। रचना प्रिया देवांगन प्रियू पंडरिया छत्तीसगढ़ Priya Dewangan priyu

मस्ती के फुहार - होली के तिहार

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मस्ती के फुहार - होली के तिहार होली तिहार के नाम सुनते साठ मन में अलग उमंग अउ खुशी छा जाथे। आँखी के आघू मा रंग, गुलाल, पिचकारी, छेना,लकड़ी जइसे बहुत अकन चीज हा आँखी मा झूले ला धर लेथे। ये साल के होली- - ये साल होली ला 09 मार्च सन 2020 के रात मा जलाय जाही अउ 10 मार्च 2020 दिन मंगलवार के धुरेड़ी यानी रंग गुलाल खेले जाही। होली कब मनाय जाथे -------- होली के तिहार ला फागुन मास के पूर्णिमा के दिन मनाय जाथे। होली के तिहार हा बसंत ऋतु के सबले बड़े तिहार हरे। हमर भारत देश मा हिन्दू मुस्लिम सबो धरम के आदमी मन मिलजुल के ये तिहार ला मनाथे अउ एक दूसर में रंग लगा के बधाई देथे। होली के तैयारी  --------- होली तिहार के तैयारी हा बसंत पंचमी के दिन ले शुरु हो जाथे। ये दिन लइका मन हा होली डाँड़ मा अंडा पेड़ के लकड़ी ला पूजा करके गड़ा देथे अउ येकर बाद मा छेना लकड़ी ला लान - लान के रोज डारत जाथे। चंदा माँगे के परंपरा  ---------- होली तिहार के एक हप्ता पहिली लइका मन हा रस्सी बाँध के या रस्ता ला रोक के अवइया जवइया मन से चंदा माँगथे। ये चंदा के पइसा ला छेना लकड़ी नँगाड़ा अउ रंग गुलाल मा खरचा करथे। पहि

बासन्ती रँग

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बासन्ती रँग हुआ भोर अब देखो प्यारे, पूर्व दिशा लाली छाई। लगे चहकने पक्षी सारे, गौ माता भी रंभाई।। कमल ताल में खिले हुए हैं,  फूलों ने ली अँगड़ाई। मस्त गगन में भौंरा झूमे, तितली रानी भी आई।। सरसों फूले पीले पीले, खेतों में अब लहराये। कूक उठी है कोयल रानी, बासन्ती जब से आये।। है पलाश भी दहके देखो, आसमान में रँग लाई। पढ़े प्रेम की पाती गोरी, आँचल अपनी लहराई।। दिखे प्रेम का भाव अनोखा,  सुंदर चिकने गालों में । झूम रही है सांवल गोरी, गजरा डाले बालों में ।। रचना महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ (फोटो गुगल से साभार)