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पानी अनमोल हे

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पानी हावय बड़ अनमोल । फोकट के तैं नल झन खोल ।।  राखव बचा बचा के आज । सबके बनही तब जी काज ।। पानी बिन जिनगी बेकार । हो जाही सबझन लाचार ।। मछरी जइसे तड़पे प्रान , सबके निकल जही गा जान ।। नदियाँ नरवा तरिया बोर , बिहना ले होवत हे शोर ।। पानी बर भौजी हा जाय । लड़ई झगरा करके लाय ।। एक कोस मा रामू जाय । काँवर धरके पानी लाय ।। थक के वोहा बड़ सुरताय । भौजी हा अब्बड़ चिल्लाय ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendra Dewangan Mati चौपई छंद विधान- -- मात्रा  -- 15 , 15 = 30 4 चरण अंत में गुरु लघु

नाम बड़े दर्शन छोटे

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जय गंगान ................... कइसे कइसे हावय नाम । नाम बरोबर नइहे काम ।। कतको झन करथे बदनाम । कोनों करय नहीं आराम ।। दान वीर हा माँगे भीख । लेख राम के मुड़ मा लीख ।। कोमल हावय बहुते ढीठ । मनराखन नइ बोलय मीठ ।। नैन सिंग के नइहे नैन । चैन सिंग ला नइहे चैन ।। पान सिंग नइ खावय पान । दानी राम करय नइ दान ।। सरवन हा नइ मानय बात । दाई ला मारय गा लात ।। घूम घूम के वोहर खात । घर मा झगरा रोज मतात ।। आशा के तैं झन कर आस । खुशबू बाई मारय बास ।। लक्ष्मी बाई लानय घास । रानी के नइहे गा दास ।। नाम बड़े हे दर्शन छोट । मन मा हावय कतको खोट ।। रोज भिखारी गिनथे नोट । कोटवार कर नइहे कोट ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati चौपई छंद ( जयकरी , जयकारी , बसदेवा गीत भी कहे जाथे ) नियम  -- 15 + 15 = 30 मात्रा  सबो लाइन शुरवात द्वि कल से होना चाहिए पदांत -- गुरु लघु