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छत्तीसगढ़ी भासा

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छत्तीसगढ़ी भासा ल पढबो अऊ पढाबोन हमर राज ल जुर मिलके, सबझन आघू बढाबोन । नोनी पढही बाबू पढही, पढही लइका के दाई । डोकरा पढही डोकरी पढही, पढही ममा दाई । इसकूल आफिस सबो जगा,छत्तीसगढ़ी में गोठियाबोन। अपन भासा बोली ल, बोले बर कार लजाबोन । कतको देश विदेश में पढले, फेर छत्तीसगढ़ी ल नइ भुलावन । अपन रिती रिवाज ल संगी , कभू नइ  गंवावन । काम काज के भासा घलो, छत्तीसगढ़ी ल बनाबोन । देश विदेश सबो जगा, एकर मान बढाबोन । रचना महेन्द्र देवांगन "माटी "     पंडरिया 8602407353

जाड़ बाढ़त हे

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जाड़ बाढ़त हे ****************** सुर सुर सुर सुर हवा चलत हे, जाड़ अब्बड़ बाढ़हत हे बिहनिया के होते साठ डोकरी ह आगी  बारत हे। जुड़ पानी ल छुये नइ सकस, तात पानी ल मढहावत हे, लोग लइका के नाक बोहावत, डोकरा ह खिसियावत हे। खोरोर खोरोर खांसत डोकरी, डोकरा ह बगियावत हे, काम बुता जादा झन करे कर डोकरी, डोकरा ह समझावत हे। चुल्हा तीर मे बइठ के डोकरा, बिड़ी ल सुलगावत हे, सेटर साल ल ओढ के डोकरी, आगी ल सिपचावत हे। गरम पानी में नहावत डोकरा जाड़ ह अब्बड़ लागत हे घाम तीरन बइठ के डोकरी, दार भात साग खावत हे। ************ रचना प्रिया देवांगन "प्रियू" गोपीबंद पारा पंडरिया जिला -- कबीरधाम  ( छ ग ) Email -- priyadewangan1997@gmail.com

रोटियां

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रोटियां ********** गोल गोल जब घर में, बनती हैं रोटियां खाकर मन तृप्त हो जाती है रोटियां। आते ही घर में, पानी देती है बेटियाँ गरम गरम तुरंत, खिलाती हैं रोटियां । चंदा सा गोल , जब बनती हैं रोटियां नया नया सपना, दिखाती हैं रोटियां । मेहनत कर कमाई से,जब खाते हैं रोटियां दिल में सुकून और शांति, दे जाती हैं रोटियां । मां अपनी हाथों से,जब बनाती हैं रोटियां दो कौर और ज्यादा, खिलाती हैं रोटियां । ************** रचना प्रिया देवांगन "प्रियू" गोपीबंद पारा पंडरिया जिला -- कबीरधाम  ( छ ग ) Email -- priyadewangan1997@gmail.com

मोदी बम

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मोदी बम फूटगे, काला धन वाला मन के पसीना छूटगे। पइसा के दम में बड़ अटियाय, छोटे आदमी मन से, सोजबाय नइ गोठियाय । अब तो भात ह नइ खवावत हे, पानी तक ह टोंटा में नइ लिलावत हे। रात रात भर घुघवा कस जागत हे, अब तो हार्ट अटेक आ जही,अइसे लागत हे। एती मायावती मुलायम राहूल, सबो झन बड़बड़ावत हे, कइसे जीतबो चुनाव, चेथी ल खजवावत हे। अब निकालत बनत न धरत बनत सांप छछूंदर कस गति होगे, राजा से एके घंऊ रंक बनगे बइहा भूतहा कस मति होगे । मोदी फोरीस अइसे बम न बाजीस न लागीस सबके निकलगे एके दरी दम। चाय वाला कोन अऊ अर्थशास्त्री कोन समझ में  नइ आवत हे, अर्थशास्त्री चाय पीयत बइठे हे अऊ चाय वाला सरजिकल स्ट्राइक लगावत हे। महेन्द्र देवांगन माटी ✍� 😃😃😃😃😃😃😃Ⓜ🙏�🙏

माटी के दीया

माटी के दीया जलावव ************ माटी के दीया जलावव संगी, माटी के दीया जलावव । चाइना माल के चक्कर छोड़ो, स्वदेसी ल अपनावव। माटी के दीया  ........................ बइठे हे कुमहारिन दाई, देखत हाबे रसता । राखे हाबे माटी के दीया, बेचत सस्ता सस्ता । का सोंचत हस ले ले संगी, घर घर  में बगरावव। माटी के दीया जलावव संगी, माटी के दीया जलावव  झालर मालर छोड़ो संगी, दीया ल बगरावव। माटी के दीया जलाके संगी, लछमी दाई ल बलावव । घर में आही सुख सांति, जुर मिल तिहार मनावव। माटी के दीया जलावव संगी, माटी के दीया जलावव । चाइना माल से होवत हाबे, जन धन सबमे हानि । हमर देस में बिकरी करके, करत हे मनमानी । आंख देखावत हमला ओहा, वोला तुम दुतकारव माटी के दीया जलावव संगी,माटी के दीया जलावव । आवत हे देवारी तिहार, घर कुरिया ल लीपावव । गली खोर ल साफ  रखो, स्वच्छता के संदेश लावव। ओदरत हाबे घर कुरिया ह, सब ल तुम छबनावव। माटी के दीया जलावव संगी, अंधियारी ल भगावव । रचना महेन्द्र देवांगन माटी

वाह रे परदेसिया

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वाह रे परदेसिया ***************** वाह रे परदेसिया हो, चाल चलेव तुमन बढ़िया बढ़िया । छत्तीसगढिया सबले बढ़िया कहिके, कर देव खड़िया खड़िया । हमर राज में आके तुमन, हमी ल आंखी देखायेव। हमरे माटी में कब्जा करके, हमी ल तुमन भगायेव भाई भाई में झगरा करवा के, मजा लेवत हो बढ़िया छत्तीसगढिया सबले बढ़िया कहिके, कर देव खड़िया खड़िया । हमरे थारी में खाके तुमन, उही में छेदा कर देव। सबला इंहा बुद्धु बनाके, अपन जेब ल भर लेव। हमला देके फोकला फोकला, खावत हो बढ़िया बढ़िया । छत्तीसगढिया सबले बढ़िया कहिके, कर देव खड़िया खड़िया । अब तो जागे ल परही संगी, तनिक होस में आवव। अइसन परदेसी मन ल, मार के तुम भगावव। अपन हक ल लेहे खातिर, झन बनव तुम कोढिया छत्तीसगढिया सबले बढ़िया , झन होवव खड़िया खड़िया । वाह रे परदेसिया हो, चाल चलेव तुमन बढ़िया बढ़िया । छत्तीसगढिया सबले बढ़िया कहिके, कर देव खड़िया खड़िया । जय छत्तीसगढ़ जय छत्तीसगढ़ी महेन्द्र देवांगन "माटी"✍ 💐💐💐💐💐💐Ⓜ🙏🙏

रावण मरा नहीं

रावण मरा नहीं ****************** रावण मरा नहीं, अधमरा भाग गया । इसीलिए तो आज, घर घर फिर जाग गया । कल तक मरने का नाटक किया , सबके ऊपर त्राटक किया। दुनिया को धोखा देकर, अहं उसका जाग गया । रावण मरा नहीं, अधमरा भाग गया ........... फिर से आज सीता का अपहरण किया है, मासूम बच्चियों को भयंकर त्रास दिया है । लूट हत्या बलात्कार, उसका खेल हो गया । रावण मरा नहीं, अधमरा भाग गया............. गाँव गली में आतंक मचा रहा है, नशे का पूरा जाल बिछा रहा है । दारु गांजा हफीम का सबको आदी बना गया । रावण मरा नहीं, अधमरा भाग गया.............. महेन्द्र देवांगन माटी (बोरसी -- राजिम वाले ) 9993243141

देवारी तिहार आवत हे

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देवारी तिहार आवत हे ***************** फुरुर फुरुर हावा चलत,जाड़ ह जनावत हे । दसेरा ह भुलकगे, देवारी ह अब आवत हे । माटी के कोठ ल, दाई ह छबनावत हे। ओदरे हे चंऊरा ह, बबा ह बनावत हे। भर भर के गाड़ा में, माटी ल डोहारत हे। दसेरा ह भुलकगे, देवारी ह अब आवत हे। फुट गेहे भांड़ी ह, कका ह उठावत हे। कोरई के राईचर ल, घेरी बेरी बनावत हे। बखरी बारी ल, रोज के सिरजावत हे। दसेरा ह भुलकगे, देवारी ह अब आवत हे। गाँव गली कोलकी ल, रोज के बहारत हे। दऊंड़ दऊंड़ के बोरिंग ले, पानी डोहारत हे। गोबर में अंगना ह, रोज के लीपावत हे। दसेरा ह भुलकगे, देवारी ह अब आवत हे। नावा नावा कपड़ा ल, नोनी बाबू सिलावत हे। हांस हांस के अपन , संगवारी ल देखावत हे। आनी बानी के सबोझन, फटाका लेवावत हे। दसेरा ह भुलकगे, देवारी ह अब आवत हे। अपन अपन घर ल,सब कोई लीपावत हे। कपाट बेड़ी मन में, रंग ल लगावत हे। माटी के दीया ल , घर घर जलावत हे। दसेरा ह भुलकगे, देवारी ह अब आवत हे। *********************** रचना प्रिया देवांगन "प्रियू" गोपीबंद पारा पंडरिया जिला -- कबीरधाम  ( छ ग ) Email -- priyadewangan1997@gmail.c

दाई के मया

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दाई के मया ************** तोर मया के अंचरा में दाई, खेलेंव कूदेंव बढेंव । पढ़ लिख के हुसियार बनेंव, जिनगी के रसता गढेंव। सोज रसता म तैं चलाये, कांटा कभू नइ गड़ेंव । मया के झूलना म तैं झुलाये, सुख के पाहड़ चढेंव। लांघन भूखन खुद रहिके, मोला तैं खवायेस । जाड़ घाम अऊ पानी ले, मोला तैं बचायेस । खुद अड़ही रहिके दाई, मोला तैं पढायेस । नाम कमाबे बेटा कहिके, गोड़ में खड़ा करायेस । कतको दुख पीरा आइस, छाती में अपन छुपायेस बेटी बेटा के सुख खातिर, हांस के तै गोठियायेस। तोर मया के करजा ल, कभू उतार नइ पांवव । हर जनम में दाई मेंहा, तोरेच कोरा में आंवव । **************************** रचना महेन्द्र देवांगन "माटी" गोपीबंद पारा पंडरिया जिला -- कबीरधाम  (छ ग ) पिन - 491559 मो नं -- 8602407353 Email - mahendradewanganmati@gmail.com

दाई के मया

दाई के मया ************** तोर मया के अंचरा में दाई, खेलेंव कूदेंव बढेंव । पढ़ लिख के हुसियार बनेंव, जिनगी के रसता गढेंव। सोज रसता म तैं चलाये, कांटा कभू नइ गड़ेंव । मया के झूलना म तैं झुलाये, सुख के पाहड़ चढेंव। लांघन भूखन खुद रहिके, मोला तैं खवायेस । जाड़ घाम अऊ पानी ले, मोला तैं बचायेस । खुद अड़ही रहिके दाई, मोला तैं पढायेस । नाम कमाबे बेटा कहिके, गोड़ में खड़ा करायेस । कतको दुख पीरा आइस, छाती में अपन छुपायेस बेटी बेटा के सुख खातिर, हांस के तै गोठियायेस। तोर मया के करजा ल, कभू उतार नइ पांवव । हर जनम में दाई मेंहा, तोरेच कोरा में आंवव । **************************** रचना महेन्द्र देवांगन "माटी" गोपीबंद पारा पंडरिया जिला -- कबीरधाम  (छ ग ) पिन - 491559 मो नं -- 8602407353 Email - mahendradewanganmati@gmail.com

जय गनेस देवता

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जय गनेस देवता ***************** जय गनेस देवता, पहिली सुमरनी गांवव तोर गियान बुद्धि के देने वाला -2, हरले संकट मोर जय गनेस देवता :::::::::::::::: लंबा लंबा सूंड़ हाबे अऊ, पेट हे बड़ भारी सूपा जइसे कान हाबे तोर, मुसवा के सवारी सबके मंगल करने वाला -2 पंइया परत हों तोर जय गनेस देवता ••••••••••••••••••••• तोर दया से अंधरा देखे, गूंगा गाना गाथे लूला लंगड़ा कतको राहे,  पहाड़ में चढ़ जाथे जेकर ऊपर तोर किरपा हे-2, सुख पाथे चारों ओर जय गनेस देवता ••••••••••••••••••••••• हाथ जोड़ के बिनती करत हों, सबके भंडार भरबे माटी के हरे काया परभु, सदा सहाय करबे भूल चूक तै माफी देबे -2, सुनले अरजी मोर जय गनेस देवता •••••••••••••••••••• महेन्द्र देवांगन माटी संपर्क - 9993243141

काबर आथे तीजा

काबर आथे तीजा ***************** काबर आथे संगी तीजा, चार दिन में हमरो निकलगे बीजा । बिहनिया उठ के, चाहा ल डबकावत हों , कभू मीठ त कभू, सीटठा ढरकावत हों । रतिहा के बरतन ल,बिहनिया मांजत हों, दुवारी में कुकुर हाग देथे, वहू ल डारत हों । लकर धकर के रंधई में, सीध नइ परत हे , कभू भात चीपरी, त कभू साग ह जरत हे । ऊत्ता धुररा नहा के, ड्यूटी जावत हों , बिहनिया के रांधे ल, संझाकुन  खावत हों । काबर आथे संगी तीजा, चार दिन में हमरो निकलगे बीजा । महेन्द्र देवांगन माटी          पंडरिया 8602407353 ,   9993243141 🌹🌹🌹😀😀Ⓜ🙏🙏

नंदावत पोरा तिहार

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पोरा पटकई ह घलो नंदावत हे , कोनों ह अब पटके ल नइ जावत हे । घर में खुसरे खुसरे पोरा मनावत हे , ठेठरी खुरमी ल मुसुर मुसुर खावत हे । माटी के बइला में चीला चढावत हे , ठेठरी खुरमी ल सींग में ओरमावत हे। लइका मन तको बइला नइ चलावत हे , मोबाइल में गेम खेलके दिन ल पहावत हे । चुकी पोरा ल नोनी मन भुलावत हे , टी वी के कारटून में मन ल झुलावत हे । सखी सहेली मन सुध नइ लेवत हे , घर बइठे वाटसप में बधाई ल देवत हे । अइसे लागथे धीरे धीरे सब नंदा जाही, का होथे पोरा  ह  कहाँ ले जान पाही । पोरा तिहार के गाड़ा गाड़ा बधाई Ⓜमहेन्द्र देवांगन "माटी"Ⓜ 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏

जय गनेस देवा

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जय गनेस देवा ********************* हिन्दू धरम में कोई भी काम करथे त सबसे पहिली गनेस जी के पूजा करे जाथे । गनेस जी ह मंगलकारी अऊ विघ्नहर्ता देवता हरे ।            भादो महिना में चतुरथी से ले के चतुरदसी तक माने दस दिन तक पूरा भारत भर में गनेस उत्सव के रुप में मनाय जाथे । भादो महिना के अंजोरी पांख के चतुरथी के दिन गनेस जी के पूजा पाठ करके स्थापना करे जाथे। पूरा दस दिन तक धूमधाम से पूजा करे जाथे । आजकाल पूरा पंडाल ल विसेस रुप से सजाय जाथे अऊ कई परकार के कारयकरम भी रखे जाथे । गनेस भगवान ह हिन्दू मन के अराध्य देव हरे । कोई भी काम करे के पहिली एकरे पूजा करे जाथे । शिव पुराण में एक कथा आथे कि एक दिन माता पारवती ह अपन सरीर के मइल ल निकाल के एक बालक बनाइस ओकर नाम ओहा गनेस रखिस। जब माता पारवती ह नहाय बर गिस त गनेस जी ल पहरेदारी करे बर दरवाजा में खड़ा कर दिस अऊ बोलीस के मोर नहात ले कोनो ल भी भीतर खुसरन मत देबे । त गनेस जी ह दरवाजा में खड़े राहे । थोकिन बाद में संकर जी ह आ गे अऊ भीतरी डाहर खुसरे ल धरीस , त गनेस जी ह वोला रोक दीस । गनेस जी बोलीस के तेंहा अभी अंदर नइ जा सकस । तब गनेस जी अऊ संकर ज

पोरा तिहार

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चल पोरा तिहार मनाबोन, ठेठरी खुरमी अऊ चीला बनाबोन । नंदिया बइला में चढाबोन, सिल्ली लगा के दऊड़ाबोन। चुकी पोरा ल सजाबोन, जांता ल चलाबोन। देवी देवता ल मनाबोन, चल पोरा तिहार मनाबोन । पोरा तिहार के गाड़ा गाड़ा बधाई महेन्द्र देवांगन माटी

तीजा पोरा

तीजा पोरा ************* तीजा पोरा आत हे, एती भाटों के करलई देखे नइ जात हे। दीदी ह मने मन में हांसत हे , भाटों ह जाग जाग के खांसत हे । दीदी ह अपन कपड़ा लत्ता ल जोरत हे , भाटों ह मने मन में रोवत हे । दीदी ह फोन कर करके बलावत हे , भाटों के जीव ल अऊ जलावत हे । दीदी ह जाय के जोरा करत हे , एती भाटों के नींद नइ परत हे । तीजा पोरा आत हे एती भाटों के करलई देखे नइ जात हे। दीदी ह मइके में तेलई बइठे हे , एती भाटों ह भूख के मारे अइठे हे । एक बेर के रांधे ल , भाटों दू बेर खावत हे , ओती दीदी ह घेरी बेरी लोटा धरके जावत हे । एती भाटों के पेट ह सप सप करत हे , ओती दीदी ह बरा सोंहारी खाके फस फस करत हे । रचना महेन्द्र देवांगन "माटी" (बोरसी - राजिम वाले ) 9993243141

अपना समाज

अपना समाज ************* अलग अलग है जाति सबका अलग अलग है काम । मिलजुल कर रहते हैं सभी तभी तो बनता है समाज । भेदभाव नहीं करते कभी सबका सहयोग करते हैं । जो भी संकट आये किसी पर सब मिलकर हल करते हैं । चौरासी जाति के बंधु मिलकर एक अथाह समाज बनाये हैं । है कुशल विद्वान यहाँ पर मोती ढूँढ कर लाये हैं । मिलते है जब एक जगह सागर सा दिखाई देता हैं । रखते है विचार यहां सब भाव अपनापन का होता है । है अपना उद्देश्य एक ही आगे सबको बढ़ाना हैं । न हो कोई समाज मे पीछे जन जन में जागृति लाना हैं ।। महेन्द्र देवांगन "माटी"

सावन सोमवारी

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सावन सोमवारी अऊ शिवजी ******************** सावन के महिना ह सबला सुघ्घर लागथे । रिमझिम रिमझिम पानी गिरत रथे अऊ किसान मन ह गाना गावत खेती किसानी में बुड़े रहिथे । उही समय में आथे सावन सोमवारी । सावन सोमवारी में शिवजी के पूजा करे में मजा आ जथे । लइका से लेके सियान तक , छोकरी से लेके डोकरी तक, सब मनखे शंकर भगवान के पूजा पाठ करथे । सावन मास ह शिव जी के प्रिय मास हरे । ए मास में पूजा करे से वोहा जल्दी खुस होथे अऊ मनवांछित फल देथे अइसे बताय जाथे । एकरे पाय पूरा भारत देस में सावन सोमवारी के दिन भोलेनाथ में जल चढाय जाथे अऊ बिसेस पूजा अरचना करे जाथे । पौरानिक मान्यता -- सोमवार उपवास के बारे में एक पौरानिक मान्यता हे कि ये पूजा ल माता पारवती ह शंकर भगवान ल अपन पति के रुप में  पाय बर करत रिहिसे । एकर से खुस होके भगवान शिव ह ओला मिलगे अऊ ओकर मनोकामना पूरा होगे । एकरे पाय कुंवारी लड़की मन भी भगवान भोलेनाथ जइसे अच्छा पति मिले कहिके उपवास रहिथे अऊ पूजा पाठ करथे । कावंरिया मन के टोली -- सावन मास में शंकर जी ल जल चढ़ाय बर गांव  गांव अऊ सहर सहर से कावंरिया मन टोली बनाके निकलथे । सब झन अपन अपन कां

हाईकू 1

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हाईकू ******** (1) आया सावन झूमें मनभावन लगे पावन । (2) छा गई घटा कुहरों से है पटा निराली छटा । (3) भीगी पलकें सावन सा झलके कराह हल्के । (4) भीगता तन विचलित सा मन अपनापन । (5) भागते लोग सुविधाओं का भोग करते योग । (6) निकले पेट जमीन पर लेट बैठते सेठ । ***************** ले   रचना महेन्द्र देवांगन माटी  ( बोरसी - राजिम वाले ) गोपीबंद पारा पंडरिया जिला  - कबीरधाम ( छ ग ) mahendradewanganmati@gmail.com

माटी मोर मितान

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माटी मोर मितान **************** सुक्खा भुंइया ल हरियर करथंव, मय भारत के किसान धरती दाई के सेवा करथंव, माटी मोर मितान । बड़े बिहनिया बेरा उवत, सुत के मय ऊठ जाथंव धरती दाई के पंइया पर के, काम बुता में लग जाथंव कतको मेहनत करथों मेंहा, नइ लागे जी थकान धरती दाई के सेवा करथंव, माटी मोर मितान । अपन पसीना सींच के मेंहा, खेत में सोना उगाथंव कतको बंजर भूंइया राहे, फसल मय उपजाथंव मोर उगाये अन्न ल खाके, सीमा में रहिथे जवान धरती दाई के सेवा करथंव , माटी मोर मितान । घाम पियास ल सहिके मेंहा, जांगर टोर कमाथंव अपन मेहनत के फसल ल, दुनिया में बगराथंव सबके आसीस मिलथे मोला, कतका करों बखान धरती दाई के सेवा करथंव, माटी मोर मितान । धरती दाई के सेवा करके, अब्बड़ सुख मय पाथंव कोनों परानी भूख झन मरे, सबला मेंहा खवाथंव सबके पालन पोसन करथों, मेहनत मोर पहिचान धरती दाई के सेवा करथंव, माटी मोर मितान । रचना महेन्द्र देवांगन "माटी" गोपीबंद पारा पंडरिया जिला -- कबीरधाम 8602407353

बादर ह बदरावत हे

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बादर ह बदरावत हे ***************** बरसा के दिन आगे संगी ,बादर ह बदरावत हे सुरूर सुरूर हावा चलत,पेड़ सबो लहरावत हे पुचुक पुचुक मेचका कूदे, पानी में टररावत हे उल्हा उल्हा पाना देखके, कोयली गाना गावत हे गडगड गडगड बादर गरजे,बछरू ह मेछरावत हे बरसा के दिन आगे संगी, बादर ह बदरावत हे। नांगर धर के सोनू कका, खेत डाहर जावत हे गाडा बइला फांद के सरवन , खातू माटी लावत हे बड़े बिहनिया ललित भैया,खातू ल बगरावत हे बरसा के दिन आगे संगी, बादर ह बदरावत हे। टपटप टपटप पानी गिरे, रेला घलो बोहावत हे कूद कूद के लइका नाचे,ओरछा में नहावत हे चिखला माटी में खेलत हाबे, दाई ह खिसयावत हे बरसा के दिन आगे संगी, बादर ह बदरावत हे।। रचना महेन्द्र देवांगन माटी 8602407353 *********************

जय शेरों वाली माँ

"जय शेरों वाली माँ " ****************** जय शेरों वाली जय खप्पर वाली शरण में आये हन तोर------2 बीच सभा में गावत हों माता-2,रख लेबे लाजे मोर जय शेरों वाली --------------------- कोई काली कोई चंडी,कोई दुरगा कहिथे जब जब संकट आथे माता, तोर चरन ल परथे सबके संकट हरने वाली -2,हर ले संकट मोर जय शेरों वाली --------------------------------- जब जब अत्याचार बढ़ीस हे,तेंहा रूप अवतारे करीस पुकार सब रिसि मुनि मन,ओकर संकट तारे सबके संकट तारने वाली-2,तार दे संकट मोर जय शेरों वाली ------------------------------------ जगमग जगमग तोर रूप हे,सबके मन ल मोहिथे दरश करे बर तोरे माता, सब झन रददा जोहिथे महूं आये हों तोर दरश बर,दरशन दे दे तोर जय शेरों वाली -------------------------------- बीच सभा में -------------------------------------।। रचना महेन्द्र देवांगन माटी

मोर छत्तीसगढ़ के कोरा में

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गीत ****** मोर छत्तीसगढ़ के कोरा में, किसम किसम के फूल -2 हीरा कस हे इंहा के माटी-2,चंदन कस हे धूल मोर छत्तीसगढ़ के ---------------------------------। बड़े बड़े ज्ञानी मुनि मन,एकर कोरा में आइस -2 इही माटी में खेलकूद के, जीवन सफल बनाइस करीस तपस्या कतको झन ह-2,कैसे जाबो भूल मोर छत्तीसगढ़ के ---------------------------------। इंहा के बेटा बड़े सबूत हे,मेहनत करके खाथे-2 धरती दाई के सेवा करके, धान ल उपजाथे हरियर हरियर देख के सबके-2,मन हर जाथे झूले मोर छत्तीसगढ़ के कोरा ------------------------। बड़ सीधवा हे इंहा के मनखे, लड़ई झगरा नइ जाने जाति पांति के भेद ल संगी, कभू इंहा नइ माने सबके आदर मान करत हे-2,रखते इज्जत कूल मोर छत्तीसगढ़ के कोरा में -----------------------। छत्तीसगढ़ के कोरा में संगी,छत्तीसों भाषा हाबे इंहा के जइसे भाखा बोली, अऊ कहां तै पाबे किसम किसम के भासा बोली-2,सब मिल जाथे घूल मोर छत्तीसगढ़ के कोरा ---------------------------। हीरा कस हे-------------------------------------------।। रचना  महेन्द्र देवांगन माटी