कीरा मकोड़ा

कीरा मकोड़ा
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संझा के बेरा मा , कीरा मकोड़ा आथे ।
दीया हा बरत रहिथे, उही मा आके झपाथे ।
रंग रंग के कीरा मकोड़ा , अब्बड़ उड़ाथे ।
एको ठन ला रमंज देबे , बिक्कट बस्साथे ।
खाय पीये के बेरा मा , तीरे तीर मा आथे ।
कतको तोपे रहिबे तभो , भात मा गिर जाथे ।
हाथ गोड़ मा रेंगत रहिथे, चुट चुट चाबथे ।
एको ठन खुसर जथे , अब्बड़ गुदगुदासी लागथे ।
तोप ढाँक के रखव सँगी , कीरा मकोड़ा झन परे।
खाय पीये के चीज मा , कीरा हा मत मरे ।

महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया  (कबीरधाम )
छत्तीसगढ़
@Mahendra Dewangan Mati

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