माटी के दोहे

माटी के दोहे

झन कर तै अभिमान जी, काम तोर नइ आय ।
धन दौलत के पोटली ,  संग कभू  नइ जाय ।।

धन के पाछू भाग झन , माया मोह ल छोड़ ।
भज ले सीता राम ला , प्रभु से नाता जोड़ ।।

का राखे हे देंह मा , काम तोर नइ आय ।
माटी के काया हरे, माटी मा मिल जाय ।।

माटी के ये देंह ला , करय जतन तैं लाख ।
उड़ा जही जब जीव हा,  हो जाही सब राख ।।

पानी के हे फोटका , ये तन ला तैं जान ।
जप ले हरि के नाम ला , माटी कहना मान ।।

महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया  (कबीरधाम )
छत्तीसगढ़
Mahendra Dewangan Mati
Pandaria @

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