किसानी के दिन
किसानी के दिन
आ गे दिन किसानी के अब , नाँगर धरे किसान ।
खातू कचरा डारत हावय , मिल के दूनों मितान ।
गाड़ा कोप्पर टूटहा परे , वोला अब सिरजावे ।
खूंटा पटनी छोल छाल के, कोल्लर ला लगावे ।
एसो असकूड़ टूटे हावय , नावा ले के लाये ।
ढील्ला हावय चक्का दूनों, बाट ला चढ़ाये ।
पैरा भूसा बाहिर हावय , कोठार मा रखवावय ।
ओदर गेहे बियारा भाँड़ी , माटी मा छबनावय ।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया (कबीरधाम )
छत्तीसगढ़
@ Mahendra Dewangan Mati
Pandaria
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