जाड़ ह जनावत हे


जाड़ ह जनावत हे

चिरई-चिरगुन पेड़ में बइठे,भारी चहचहावत हे।
सुरूर-सुरूर हवा चलत,जाड़ ह अब जनावत हे।।
हसिया धर के सुधा दीदी ,खेत डहर जावत हे।
धान लुवत-लुवत दुलारी,सुघ्घर गाना गावत हे।।
लू-लू के धान के,करपा ल मढ़ावत हे।
सुरूर-सुरूर हवा चलत ,जाड़ ह अब जनावत हे।।

पैरा डोरी बरत सरवन ,सब झन ल जोहारत हे।
गाड़ा -बइला में जोर के सोनू ,भारा ल डोहारत हे।।
धान ल मिंजे खातिर सुनील,मितान ल बलावत हे।
सुरूर-सुरूर हवा चलत,जाड़ ह अब जनावत हे।।

पानी ल छुबे त ,हाथ ह झिनझिनावत हे।
मुँहू में डारबे त,दांत ह किनकिनावत हे।।
अदरक वाला चाहा ह,बने अब सुहावत हे।
सुरूर-सुरूर हवा चलत,जाड़ ह अब जनावत हे।।

खेरेर-खेरेर लइका खाँसत,नाक ह बोहावत हे।
डाक्टर कर लेग-लेग के,सूजी ल देवावत हे।।
आनी-बानी के गोली-पानी, टानिक ल पियावत हे।
सुरूर-सुरूर हवा चलत ,जाड़ ह अब जनावत हे।।

पऊर साल के सेटर ल,पेटी ले निकालत हे।
बांही ह छोटे होगे,लइका ह रिसावत हे।।
जुन्ना ल नइ पहिनो कहिके,नावा सेटर लेवावत हे।
सुरूर-सुरूर हवा चलत ,जाड़ ह अब जनावत हे।।

रांधत - रांधत बहू ह,आगी ल अब तापत हे।
लइका ल नउहा हे त ,कुड़कुड़-कुड़कुड़ कांपत हे।।
स्कूल जाय बर जल्दी से,तइयार ओला करवावत हे।
सुरूर-सुरूर हवा चलत ,जाड़ ह अब जनावत हे।।

घर में बइठे-बइठे बबा ,बिड़ी ल सुलगावत हे।
घाम तापत-तापत बने,नाती ल खेलावत हे।।
जांघ में लइका सूसू करदिस,बबा ह खिसियावत हे।
सुरूर-सुरूर हवा चलत ,जाड़ ह अब जनावत हे।।

महेन्द्र देवांगन माटी 
पंडरिया छत्तीसगढ़ 
@Mahendra Dewangan Mati 

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