आभार सवैया


आभार सवैया

गुरु वंदना

पावैं पखारौं गुरू आज तोरे बुरा आदमी ला भला तैं बनायेस।
अज्ञान के राह मा रोज जावौं धरे हाथ मोरे लिखे ला सिखायेस।
दोहा सवैया सबो छंद जानेंव का होय रोला ह तेला बतायेस।
कैसे चुकावौं गुरू तोर कर्जा महा मूर्ख चोला ल ज्ञानी बनायेस।।

महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़

(छत्तीसगढ़ी भाषा में)
विधान  ---
8 तगन
221 × 8

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