जाड़ा


जाड़ा

जाड़ा अब्बड़ बाढ़ गे,  नइ होवत कुछु काम।
दिन जल्दी बित जात हे, होवत झटकुन शाम ।।

लकर धकर सब जाग के , बिहना काम म जाय ।
सेटर शाल ल ओढ़ के , जाड़ा रोज भगाय ।।

रोवत लइका जाड़ मा , नाक घलो बोहाय।
छेना लकड़ी बार के , लइका ला सेंकाय ।।

पोंगा लानय काट के , दाई बरी बनाय ।
बादर हावय दोखहा , घेरी बेरी छाय ।।

भाजी पाला जाड़ मा , अब्बड़ रोज मिठाय ।
राँधय भूँज बघार के , चाँट चाँट सब खाय ।।

रचना
प्रिया देवांगन "प्रियू"

Priya Dewangan "Priyu"


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