तेरी अदाएँ
तेरी अदाएँ काली काली जुल्फों को क्यूँ , नागिन सी लहराती हो । चंचल नयना शोख अदाएँ , क्यों हरदम इठलाती हो । । लाल गुलाबी होंठ शराबी , देख नशा चढ जाता है । फूलों सी खुशबू को पाकर, भौरा गाने गाता है ।। कली गुलाब सी कोमल काया , धूप लगे मुरझाती हो । चंचल नयना शोखअदाएँ , क्यों हरदम इठलाती हो ।। पाँवो की पायल से तेरी, धुन संगीत निकलता है । सुन आवाजें ताल मारकर , आशिक रोज थिरकता है ।। कोयल जैसी कंठ तुम्हारे , गीत मधुर तुम गाती हो । चंचल नयना शोखअदाएँ , क्यों हरदम इठलाती हो ।। माथे की बिन्दी यूँ चमके , जैसे चाँद सितारे हों । दाँत तुम्हारे चमके ऐसे , ज्यों मोती की हारें हों ।। भर भर कंगन पहन हाथ में ,चूड़ी क्यों खनकाती हो । चंचल नयना शोख अदाएँ , क्यों हरदम इठलाती हो ।। परियों की रानी लगती हो , सबका मन हर लेती है । नैनों से तुम बाण चलाकर , घायल सब कर देती है ।। घोर घटा छा जाती है जब , जुल्फों को लहराती हो । चंचल नयना शोख अदाएँ , क्यों हरदम इठलाती हो ।। चंचल चितवन मस्त अदाएँ , क्या जादू कर जाती हो । देख तुझे सब आहें भरते , दिल को क्यों तड़पाती हो ।। चाँद निकल
Comments
Post a Comment