बावाकुपि

हमर गाँव के तीर मा हवय , अब्बड़ सुघ्घर धाम ।
जाथे सबझन दर्शन खातिर,  "बावाकुपि" हे नाम ।।

"माण्डव ऋषि" के आश्रम जाके , परथे सबझन पाँव ।
मनोकामना पूरा होथे , लेथे जेहा नाँव ।।

सुघ्घर जंगल झाड़ी हावय , बारो महिना छाँव ।
नदियाँ तीर म बसे सबोझन,  "बोरसी" हमर गाँव ।।

बावाकुपि ला देखे खातिर,  धुरिहा ले सब आय ।
साधु संत के दर्शन पा के , जीव धन्य हो जाय ।।

महेन्द्र देवांगन माटी 
बोरसी  (फिंगेश्वर )
जिला -- गरियाबंद 
छत्तीसगढ़ 
8602407353
Mahendra Dewangan Mati 

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