हरिगीतिका छंद

(1) सरस्वती वंदना

जय शारदे माँ सुन हमर , विनती हवय अब तोर ले ।
माफी करव तुम भूल चुक , होवय गलत जो मोर ले ।।
बालक हवँव अनजान मँय , जोरत हवँव अब हाथ ला ।
रखबे हमर अब लाज तैं , टेंकत हवँव  मँय माथ ला ।।

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(2) बेटी बचाव

मारव कभू झन कोख मा , बेटी घलो संतान जी ।
करही जगत मा नाम ला , येला तहूँ अब मान जी ।।
लक्ष्मी बरोबर मान ले , भरही सबो भंडार ला ।
आवय नहीं दुख जान ले , रखही सुखी घर द्वार ला ।।

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(3) पानी बचाव

पानी बचावव आज मिल , सबके इही आधार हे ।
खइता करव झन फेंक के , येकर बिना अँधियार हे ।।
नदियाँ कुवाँ हा सूख गे , होवत सबो हलकान अब ।
कइसे बचाबो जीव ला , पानी बिना सुनसान सब ।।

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(4) कचरा

फेंकव कभू झन खोर मा , कचरा ल तैंहा जान के ।
राखव सफाई रोज के  , अपने सबो ला मान के ।।
रखथे सफाई जेन हा , होवय नहीं बीमार जी  ।
हाँसी खुशी दिन बीतथे , सुघ्घर लगे घर द्वार जी ।।

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(5) लफंगा टूरा

आ गे हवय अब देख ले , कइसे जमाना आज जी ।
पीयत खड़े सिगरेट ला , लागे नहीं कुछु लाज जी ।।
टूरा कटाये नाक ला ,  करथे नशा ला रोज के ।
घूमत फिरत हे रात दिन , बोलय नहीं वो सोज के ।।

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नियम
16 +12 या 14 +14 = 28 मात्रा
अंत में रगण 2 1 2 होना चाहिए
2212 2212
5 , 12 , 19 , अउ 26 वाँ मात्रा लघु होना चाहिए ।


महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
8602407353

Mahendra Dewangan Mati 

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