हाइकु
1 शीत लहर
( महेन्द्र देवांगन माटी)
घने कोहरे
धुंधला आसमान
छाये अंधेरा ।
शीत लहर
चले चारों पहर
ढाया कहर ।
चली हवाएँ
देंह कँपकपाये
ठंड जो आये ।
2 नखरे वाली
रुप सुहाना
सब कोई दीवाना
देख जमाना ।
चाँद सा रुप
बैठी छत पे चुप
देखते छुप ।
होंठों पे लाली
उमरिया है बाली
नखरे वाली ।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
8602407353
@ Mahendra Dewangan Mati
( महेन्द्र देवांगन माटी)
घने कोहरे
धुंधला आसमान
छाये अंधेरा ।
शीत लहर
चले चारों पहर
ढाया कहर ।
चली हवाएँ
देंह कँपकपाये
ठंड जो आये ।
2 नखरे वाली
रुप सुहाना
सब कोई दीवाना
देख जमाना ।
चाँद सा रुप
बैठी छत पे चुप
देखते छुप ।
होंठों पे लाली
उमरिया है बाली
नखरे वाली ।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
8602407353
@ Mahendra Dewangan Mati
मस्त लिखे हस गो
ReplyDeleteबड़ सुघर
बहुत बहुत धन्यवाद गोस्वामी जी
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