शरद पूर्णिमा



खीर खाबो -- शरद पुन्नी मनाबो
( छत्तीसगढ़ी भाषा में)

हिन्दू पंचाग के अनुसार वइसे तो हरेक महीना पुन्नी तिथि आथे , फेर शरद पुन्नी  (पूर्णिमा)  के अलग महत्व हे ।
ये बार शरद पुन्नी ह 13 अक्टूबर 2019 दिन रविवार के परत हे ।
शारदीय नवरात्रि के खतम होय के बाद कुंवार  ( आश्विन ) मास में जे पुन्नी आथे वोला शरद पुन्नी के रुप में मनाय जाथे ।
शरद पुन्नी ल कोजागर पुन्नी  , रास पुन्नी अउ कौमुदी पुन्नी के नाम से भी जाने जाथे । हिन्दू धर्म में येकर बहुत महत्व हे ।

अमृत बरसा ------- शरद पुन्नी के दिन चंदा ( चंद्रमा) ह पूरा गोल दिखाई देथे अउ आन दिन के अलावा सबले जादा चमकत रहिथे । ये दिन ऊपर से जे शीत बरसथे तेहा चंद्रमा के किरण से अमृत के समान हो जाथे । जेहा आदमी के स्वास्थ्य बर बहुत लाभदायक होथे । येकर सेती शरद पुन्नी के दिन खीर बना के छत के ऊपर खुले आसमान में टाँगे जाथे ।
ये खीर ल खाय से बहुत अकन असाध्य रोग ह दूर हो जथे अउ आदमी के उमर ह बढ़ जथे ।

पौराणिक मान्यता  ------- पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ह गोपी मन के संग वृंदावन के निधिवन में इही दिन रास लीला रचाय रिहिसे ।
कहे जाथे कि ये दिन चंदा ह अपन सोलह कला से परिपूर्ण होके रात भर अमृत के बरसा करथे ।
दूसर मान्यता ये हे कि माता लक्ष्मी के जनम भी इही दिन होय रिहिसे । ये दिन जेहा माता लक्ष्मी के विधि - विधान से पूजा पाठ करथे ओकर घर जाके सुख समृद्धि अउ स्वास्थ्य के वरदान देथे ।
शरद पुन्नी के दिन ही भगवान विष्णु के चार माह के शयन काल के अंतिम चरण होथे ।

शरद पुन्नी के खास महत्व  ------ कहे जाथे कि ये दिन वरत (उपवास)  रखे से सब मनोकामना पूरा होथे अउ मनखे के सब दुख ह दूर हो जाथे ।
ये दिन विवाहित महिला मन ह व्रत रखथे ओकर संतान के प्राप्ति होथे । जे माता अपन बच्चा के लिए व्रत रखथे ओकर संतान के उमर ह लंबा हो जाथे । अगर कुंवारी कन्या मन ह व्रत रखथे त वोला सुयोग्य पति के प्राप्ति होथे ।

शक्ति के प्राप्ति  ---- शरद पुन्नी के दिन चंदा ह दूसर दिन के मुकाबला बहुत जादा रोशनी देथे । जेकर प्रकाश से आध्यात्मिक  , शारीरिक अउ मानसिक शक्ति के विकास होथे । येकर किरण में असाध्य रोग ल बने करे के क्षमता होथे । पूर्णिमा के खीर ल सेहत बर अमृत तुल्य माने गेहे ।

वैज्ञानिक मान्यता  ---- शरद पुन्नी के रात में खीर ल छत के ऊपर राखे के पाछु वैज्ञानिक तथ्य ये हरे कि खीर - दूध अउ चावल ल मिला के बनाये जाथे । दूध में लैक्टिक नामक अम्ल होथे । ये एक अइसे तत्व हरे जेहा चंद्रमा के किरण से अधिक मात्रा में शक्ति के शोषण करथे । चावल में स्टार्च के मात्रा होय के कारण ये प्रक्रिया ह बहुत जल्दी अउ आसानी से हो जाथे ।
चंद्रमा के किरण जब खीर में परथे त खीर ह अमृत के समान लाभदायक हो जाथे । येकर से कई प्रकार के बीमारी ह घलो दूर भगा जाथे ।
हमर  ऋषि मुनि मन ह कोनों वैज्ञानिक से कम नइ रिहिसे । ये सब चीज ल ओमन पहिली से जानत रिहिसे । येकरे सेती शरद पुन्नी के रात में खीर ल खुल्ला में टाँगे के विधान बताय रिहिसे ।
त संगवारी हो शरद पुन्नी ल कभू झन भुलाहू अउ खीर ल बाँट के पुण्य जरुर कमाहू ।

लेखक
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया  (कबीरधाम)
छत्तीसगढ़
8602407353

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