गाँधी जी के बंदर
गाँधी जी के बंदर
गाँधी जी के तीनों बंदर , बहुते धूम मचाते थे ।
उछले कूदे डंगालों पर , सबको नाच दिखाते थे ।।
इस डाली से उस डाली पर , कूद कूद कर जाते थे ।
खट्टे मीठे फलें देखकर, खूब मजे से खाते थे ।।
बच्चे उसको बहुत सताते , मार गुलेल भगाते थे ।
इधर उधर सब भागा करते, खूब छलांग लगाते थे ।।
बंदर बोले सुन लो बच्चों, बात ज्ञान की कहता हूँ ।
गाँठ बाँध कर इसे पकड़ लो , कैसे मैं चुप रहता हूँ ।।
करो नहीं तुम कभी बुराई , आपस में मिलकर रहना ।
सत्य मार्ग पर चलते रहना , झूठ कभी ना तुम कहना ।।
बुरा न देखो बुरा न सुनना , बुरा नहीं तुम बोलो जी ।
अडिग रहो तुम सत्य मार्ग पर , आँखें अपनी खोलो जी ।।
रचनाकार
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया कबीरधाम
छत्तीसगढ़
8602407353
mahendradewanganmati@gmail.com
बहुत खूब सर जी
ReplyDeleteधन्यवाद निषाद जी
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