आ जाओ साजना
चित्र आधारित दोहे
आ जाओ साजना
नदी किनारे बैठकर , ताँक रही हूँ राह ।
कब आओगे साजना , भरती हूँ मैं आह ।।
प्रेम लगन की आग से , जलती हूँ दिन रात ।
आ जाओ अब पास में , कर लूं तुमसे बात ।।
पथराई अब आँख हैं , तोड़ो मत तुम आस ।
वर्षा कर दो प्रेम की , बुझ जाये सब प्यास ।।
पायल बैरी पाँव में , करती है झंकार ।
चूड़ी खनके हाथ में , मत कर तू इंकार ।।
ना माँगू मैं साजना , कोई मोती हार ।
बाँह पकड़ कर थाम लो , विनती बारंबार ।।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
8602407353
Mahendra Dewangan Mati

बहुत ही सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर मार्मिक रचना
Deleteलाजवाब
ReplyDeleteधन्यवाद महोदय जी
Deleteबेहतरीन शानदार जानदार जबर्दस्त लाजवाब पंक्तियां
ReplyDeleteधन्यवाद गोस्वामी जी
DeleteBadhiya mati sr
ReplyDeleteधन्यवाद भावरिया जी
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