मजदूर दिवस
(मजदूर दिवस पर मोर कविता )
बिहनिया ले उठ के, रोज कमाय बर जाना हे।
रापा कुदारी गैंती बसुला, इही हमर बाना हे ।
पानी गिरे चाहे घाम करे, हमला रोज कमाना हे।
नइ जानन हम इडली डोसा, चटनी बासी खाना हे।
मेहनत हमर करम संगी, मेहनत के फल पाथन।
रोज कमाथन घाम पियास में, तब लइका ल खवाथन ।
धरती दाई के सेवा करके, अन्न हम उपजाथन।
टार दे तुंहर चोचला ल, हम तो रोज मजदूर दिवस मनाथन ।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया
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