अकती

अकती
पुतरी पुतरा के बिहाव होवत हे , देखे बर सब आवव जी ।
नाचत हावय लइका मन हा, सुघ्घर गाना गावय जी ।
नेवतत हावय घर घर जाके , टीकावन मा आहू जी ।
झारा झारा नेवता हावय , खा के तुमन जाहू जी ।
लाये हावय डूमर डारा , मड़वा ला छवावय जी ।
सजावत हे सुघ्घर घर ला , तोरन पताका लगावय जी ।
तेल चढावत मड़वा मा अउ , गाना सबझन गावय जी ।
नाचत हावय मगन होके,  दमऊ दफड़ा बजावय जी ।
परत हावय भांवर संगी , मजा सबझन लेहू जी ।
टीकावन ला टीक के संगी, आशीर्वाद सब देहू जी ।
अकती के तिहार ला संगी , मिलके  सबो मनावव जी ।
भेदभाव ला दूर करव अउ , भाईचारा देखावव जी ।
महेन्द्र देवांगन "माटी"
पंडरिया छत्तीसगढ़
8602407353
18/04/2018

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