अरविंद सवैया


अरविंद सवैया 
(छत्तीसगढ़ी भाषा में)
112 × 8 + लघु
(1)
झन लोभ करौ झन पाप करौ झन मारव काटव पुण्य कमाव।
रख दीन दुखी बर ध्यान सदा बिगड़ी सबके अब रोज बनाव।
हर लौ सबके तन के दुख ला रख प्रेम सदा हिरदे म लगाव।
बन के मितवा सबके हितवा रख मान सबो बर प्रेम जगाव।।

(2)

घर मा रहिके सब काम करौ झन फोकट के अब बैठ पहाव।
बिहना उठ के नित दौड़ लगा सब आलस छोड़ नदी म नहाव।
कर सूर्य प्रणाम लगा दँड बैठक ध्यान करौ सब रोग भगाव।
बनही सबके बिगड़ी मनखे मन के अब आवव भाग जगाव।।

(3)

पढ़लौ लिखलौ जिनगी गढ़लौ रख मान सबो झन नाम कमाव।
सब काम बुता बर हाथ बँटावव देश विदेश ग धाक जमाव।
रख लौ कुल इज्जत मान सदा रइही सुख मा परिवार चलाव।
चलही जिनगी बनही बिगड़ी मिल काम करौ सब भाग जगाव ।।

महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
Mahendra Dewangan Mati

( छत्तीसगढ़ी भाषा में)

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