सुखी सवैया
सुखी सवैया
(छत्तीसगढ़ी भाषा में)
112 × 8 + 1 + 1
सिधवा मनखे बनके कतको झन आवत घूमत लूट मचावत।
खुसरै घर भीतर फोकट के डउकी लइका मन ला डरवावत।
चलथै धर के हथियार घलौ कुछ बोलत हौ तब खून बहावत।
परखौ मनखे लबरा मन ला जब बोलय फोकट बात बनावत।।
(2)
सिधवा मनखे बनके कतको झन आवँय लूट मचावत हावँय।
खुसरैं घर भीतर फोकट के लइका मन ला डरवावत हावँय।
चलथैं धरके हथियार घलौ कुछ बोलव खून बहावत हावँय।
परखौ मनखे लबरा मन ला जब बोलँय बात बनावत हावँय।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
Mahendra Dewangan Mati
Comments
Post a Comment