तुलसी मइया


तुलसी मइया

मोर अँगना में हाबे, तुलसी के चँउरा।
तीरे तीर खेलत हे, लइका मन भँउरा।।
नहा धो के दाई ह, पानी चढ हाथे।
संझा बिहनिया रोज, दीया जलाथे।।
तुलसी के मंजरी के, परसाद पाथे।
ओकर किरपा ले, अब्बड़ सुख पाथे।।
तुलसी चँउरा में,  सालिक राम हाबे।
कर ले पूजा संगी, आशीरवाद पाबे।।
जुड़ खाँसी सरदी, सबला मिटाथे।
नियम पुरवक जेहा, पत्ती ल खाथे।।
तुलसी मइया के तो , महिमा हे भारी।
एकरे सेती घर में, पूजा करथे नर नारी ।।
जय जय जय तुलसी मइया, तोर महिमा गावँव।
फूल पान नरियर मँय, तोला चढावँव।।

महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
8602407353
mahendradewanganmati@gmail.com

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