खटिया
खटिया
खटिया के गय जमाना, अब तो पलंग आ गे ।
पटवा डोरी अऊ बूच के, जमाना हा नँदागे ।
खटिया में बइठे बबा , ढेंरा ला आँटे ।
सुख दुख के गोठ ला , सबो झन कर बाँटे ।
सगा पहुना सबोझन, खटिया मा बइठे ।
बड़ मजबूत हाबे कहिके, मुछा ला अइठे ।
अब तो नवा नवा , पलंग अउ दीवान आ गे ।
मचोली अउ खटिया के, जमाना हा नँदागे ।
नींद भर बबा हा, खोड़रा खटिया मा सोवय ।
फसर फसर नाक बाजे, कतको हल्ला गुल्ला होवय।
अब तो पलंग मा सुतथे तभो , नींद नइ आवय ।
सुपेती हा गरमथे अउ , एती वोती कस मसावय।
नेवार के तक गय जमाना, अब तो दीवान आ गे ।
पटवा डोरी अउ बूच के, जमाना हा नँदागे ।
खटिया के गय जमाना, अब तो पलंग आ गे ।
पटवा डोरी अउ बूच के, जमाना हा नँदागे ।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया (कबीरधाम )
Mahendra Dewangan Mati @
01/06/18
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