तेरी अदाएँ काली काली जुल्फों को क्यूँ , नागिन सी लहराती हो । चंचल नयना शोख अदाएँ , क्यों हरदम इठलाती हो । । लाल गुलाबी होंठ शराबी , देख नशा चढ जाता है । फूलों सी खुशबू को पाकर, भौरा गाने गाता है ।। कली गुलाब सी कोमल काया , धूप लगे मुरझाती हो । चंचल नयना शोखअदाएँ , क्यों हरदम इठलाती हो ।। पाँवो की पायल से तेरी, धुन संगीत निकलता है । सुन आवाजें ताल मारकर , आशिक रोज थिरकता है ।। कोयल जैसी कंठ तुम्हारे , गीत मधुर तुम गाती हो । चंचल नयना शोखअदाएँ , क्यों हरदम इठलाती हो ।। माथे की बिन्दी यूँ चमके , जैसे चाँद सितारे हों । दाँत तुम्हारे चमके ऐसे , ज्यों मोती की हारें हों ।। भर भर कंगन पहन हाथ में ,चूड़ी क्यों खनकाती हो । चंचल नयना शोख अदाएँ , क्यों हरदम इठलाती हो ।। परियों की रानी लगती हो , सबका मन हर लेती है । नैनों से तुम बाण चलाकर , घायल सब कर देती है ।। घोर घटा छा जाती है जब , जुल्फों को लहराती हो । चंचल नयना शोख अदाएँ , क्यों हरदम इठलाती हो ।। चंचल चितवन मस्त अदाएँ , क्या जादू कर जाती हो । देख तुझ...
अगहन बिरसपति के पूजा हिन्दू पंचाग मा अगहन महीना के बहुत महत्व हे। कातिक मास के बाद अगहन मास में बिरस्पत (गुरुवार) के दिन अगहन बिरसपति के पूजा करे जाथे। बिरसपति देव के पूजा करे ले घर मा सुख शांति, समृद्धि, धन वैभव अउ सबो मनोकामना पूरा हो जाथे। पूजा के तैयारी ------- अगहन बिरसपति पूजा के तैयारी ल बुधवार के साँझकुन ले ही शुरु कर देथे। सबले पहिली घर दुवार , अँगना , खोर ला बढ़िया लीप बहार के साफ सुथरा करे जाथे। घर के बाहिर दरवाजा मा बढ़िया रंगोली बनाय जाथे। घर मा लक्ष्मी माता के आसन बनाय जाथे। लक्ष्मी दाई के पाँव बनाय जाथे। घर ल तोरण पताका से सजाय जाथे। लक्ष्मी माता के आसन ------- अगहन बिरसपति के दिन बृहस्पति देव अउ लक्ष्मी माता के चित्र आसन मा रखे जाथे। आसन के तीर मा रखिया, अँवरा (आँवला), अँवरा के डारा, केरा पत्ती, धान के बाली आदि सामान रखे जाथे। ये पूजा मा रखिया अउ अँवरा के बहुत महत्व हे। एकर अलावा गेंदा के फूल, पीला चाँऊर , चना ,पीला कपड़ा अउ मीठा पकवान रखे जाथे। पूजा के बाद मँझनिया (दोपहर) कुन कथा सुने जाथे तभे पूजा पूरा होथे। पूजा पाठ...
वेलेंटटाइन डे के चक्कर में , मँहू एक ठन गुलाब लानेव । हैप्पी वेलेंटटाइन डे कहिके , अपन बाई ल थमायेंव । वोला देखिस बाई ह , वहू ह लजा गे । यहा उमर में तोला , का जवानी छा गे । दे के दिन मे दे नइ हस , अब गुलाब देवत हस । छुछू कस मुंहू लमा के , फोकट के चुमा लेवत हस । नून तेल के चिंता नइहे , फूल ल धर के लानत हस । मोर अइसने जी बगियाय हे , अउ जरे मा नून डारत हस । मेंहा कहेंव -- चार दिन के जिनगी पगली , आ हाँस के गोठिया ले । का राखे हे जिनगी में, चल वेलेंटटाइन डे मना ले । वोहा कहिथे -- का होगे तोला , बड़ आशियाना मूड देखावत हस । चुंदी दाँत झरगे तभो ले , अपन थोथना ल लमावत हस । अरे लोग लइका के चिंता कर , ये तो विदेशी संस्कृति आय । हमर मया तो जनम जनम तक हे , हमर बर तो रोज वेलेंटटाइन डे आय । ये झोला ल धर , अउ साग भाजी लान । ये जगा ले सोज बाय , अपन मुंहू ल टार । झोला ल धरा के वोहा , भीतरी में खुसर गे । वेलेंटटाइन डे के भूत ह , मोरो मूड़ ले उतर गे । गयेंव बजार मा अउ गुलाब नहीं , अब गोभी के फूल ल लायेंव । ये ले मोर रानी कहिके , ओकर हाथ मे थमायेंव । ...
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