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अगहन बिरसपति

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अगहन बिरसपति के पूजा हिन्दू पंचाग मा अगहन महीना के बहुत महत्व हे। कातिक मास के बाद अगहन मास में बिरस्पत (गुरुवार)  के दिन अगहन बिरसपति के पूजा करे जाथे। बिरसपति देव के पूजा करे ले घर मा सुख शांति,  समृद्धि, धन वैभव अउ सबो मनोकामना पूरा हो जाथे। पूजा के तैयारी  ------- अगहन बिरसपति पूजा के तैयारी ल बुधवार के साँझकुन ले ही शुरु कर देथे। सबले पहिली घर दुवार , अँगना , खोर ला बढ़िया लीप बहार के साफ सुथरा करे जाथे। घर के बाहिर दरवाजा मा बढ़िया रंगोली बनाय जाथे।  घर मा लक्ष्मी माता के आसन बनाय जाथे। लक्ष्मी दाई के पाँव बनाय जाथे। घर ल तोरण पताका से सजाय जाथे। लक्ष्मी माता के आसन ------- अगहन बिरसपति के दिन बृहस्पति देव अउ लक्ष्मी माता के चित्र आसन मा रखे जाथे। आसन के तीर मा रखिया, अँवरा (आँवला), अँवरा के डारा, केरा पत्ती, धान के बाली आदि सामान रखे जाथे। ये पूजा मा रखिया अउ अँवरा के बहुत महत्व हे। एकर अलावा गेंदा के फूल,  पीला चाँऊर , चना ,पीला कपड़ा अउ मीठा पकवान रखे जाथे। पूजा के बाद मँझनिया (दोपहर) कुन कथा सुने जाथे तभे पूजा पूरा होथे। पूजा पाठ करे के बाद प्रसाद बाँटे

दीपों का पर्व दीपावली

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दीपों का पर्व दीपावली दीपावली का नाम सुनते ही बच्चे बूढ़े सभी के मन में खुशियाँ  छा जाती है । यह त्योहार खुशियों का त्योहार है । इस त्योहार की तैयारी कई दिन पूर्व से शुरु हो जाती है । दीपावली का अर्थ  ---- दीपावली शब्द संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है । दीप + अवली । दीप का मतलब होता है दीपक और अवली का अर्थ होता है कतार या पंक्ति । इसका मतलब ये हुआ कि दीपक को पंक्ति बद्ध जलाना रौशनी करना । इस दिन लोग अपने घर , द्वार,  दुकान सभी जगह बहुत सारे दीपक जलाकर माँ लक्ष्मी का स्वागत करते हैं । गाँव शहर सभी जगह दीपक की रौशनी से जगमगा उठता है । कब मनाया जाता है  ----- दीपावली का त्योहार कार्तिक मास के अमावस्या तिथि को मनाया जाता है । अमावस्या की काली रात में दीपक की रोशनी से अंधकार दूर हो जाता है । उस दिन काली रात का पता ही नहीं चलता । असतो मा सदगमय , तमसो मा ज्योतिर्गमय । अर्थात असत्य से सत्य की ओर और अंधकार से प्रकाश की ओर जाना ही मनुष्य का मुख्य लक्ष्य है । दीपावली का त्योहार इसी चरितार्थ को पूरा करता है । दीपावली क्यों मनाते हैं  ----- भगवान श्री राम चंद्र जी 14 वर्ष के व

मुनगा के गुन

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मुनगा के गुन (दोहा छंद) मुनगा मा हे गुन अबड़ , होय रोग सब दूर । ताकत मिलथे देंह ला , खावव जी भरपूर ।।1।। घर बारी अउ खेत मा , मुनगा पेड़ लगाव। बेंचव वोला गाँव मा , पइसा अबड़ कमाव।।2।। मुनगा ले औषधि बनय , आथे अब्बड़ काम। गाँव शहर मा बेंच ले , मिलही पूरा दाम।।3।। मुनगा पत्ती पीस के , सरसों तेल मिलाव। चोट मोच अउ घाव मा , येला तुरत लगाव।।4।। मुनगा पत्ती पीस के , काढ़ा बने बनाव। पीयव खाली पेट मा , गठिया रोग भगाव।।5।। मुनगा के गुन जान ले ,  छेवारी जे खाय। बीमारी सब भागथे , ताकत अब्बड़ आय।।6।। रचनाकार महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़

करवा चौथ

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करवा चौथ ( सरसी छंद) आज सजी है देखो नारी, कर सोलह श्रृंगार । करे आरती पूजा करके , पाने पति का प्यार ।। पायल बाजे रुनझुन रुनझुन , बिन्दी चमके माथ । मंगलसूत्र गले में पहने , लगे मेंहदी हाथ ।। करवा चौथ लगे मन भावन, आये बारम्बार । आज सजी है देखो नारी,  कर सोलह श्रृंगार ।। रहे निर्जला दिनभर सजनी , माँगे यह वरदान । उम्र बढे हर दिन साजन का , बने बहुत बलवान ।। छत के ऊपर देखे चंदा , खुशियाँ मिले अपार । भोली सी सूरत को देखे , सजन लुटाए प्यार ।। सुखी रहे परिवार सभी का, जुड़े ह्रदय का तार। आज सजी है देखो नारी,  कर सोलह श्रृंगार ।। रचना महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ @ Mahendra Dewangan Mati 

शरद पूर्णिमा मनायेंगे

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शरद पूर्णिमा मनायेंगे शरद पूर्णिमा मनायेगे, घर में खीर बनाएंगे। अमृत बरसेगा खीर में, मिल बांट कर खाएंगे।। चाँद की रौशनी से , सारा जग जगमगायेगा। सोलह कला से पूर्ण हुआ ,अमृत वह बरसायेगा।। जो जो अमृत खायेगा , बीमारी छू न  पायेगा। शीत बरसेगा धरती पर ,मोती सा बन जायेगा।। जब  बरसेगा ओस की बूंदें, ठंडी की लहरें होगी। धुंधला हो जाएगा आसमा , गीत गायेगा कोई जोगी ।। ताजा ताजा पवन चलेगा , वातावरण शुद्ध हो जायेगा । स्वस्थ रहेंगे मनुष्य सारे , हर पल खुशी मनायेगा ।। रचना प्रिया देवांगन "प्रियू"

शरद पूर्णिमा

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खीर खाबो -- शरद पुन्नी मनाबो ( छत्तीसगढ़ी भाषा में) हिन्दू पंचाग के अनुसार वइसे तो हरेक महीना पुन्नी तिथि आथे , फेर शरद पुन्नी  (पूर्णिमा)  के अलग महत्व हे । ये बार शरद पुन्नी ह 13 अक्टूबर 2019 दिन रविवार के परत हे । शारदीय नवरात्रि के खतम होय के बाद कुंवार  ( आश्विन ) मास में जे पुन्नी आथे वोला शरद पुन्नी के रुप में मनाय जाथे । शरद पुन्नी ल कोजागर पुन्नी  , रास पुन्नी अउ कौमुदी पुन्नी के नाम से भी जाने जाथे । हिन्दू धर्म में येकर बहुत महत्व हे । अमृत बरसा ------- शरद पुन्नी के दिन चंदा ( चंद्रमा) ह पूरा गोल दिखाई देथे अउ आन दिन के अलावा सबले जादा चमकत रहिथे । ये दिन ऊपर से जे शीत बरसथे तेहा चंद्रमा के किरण से अमृत के समान हो जाथे । जेहा आदमी के स्वास्थ्य बर बहुत लाभदायक होथे । येकर सेती शरद पुन्नी के दिन खीर बना के छत के ऊपर खुले आसमान में टाँगे जाथे । ये खीर ल खाय से बहुत अकन असाध्य रोग ह दूर हो जथे अउ आदमी के उमर ह बढ़ जथे । पौराणिक मान्यता  ------- पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ह गोपी मन के संग वृंदावन के निधिवन में इही दिन रास लीला रचाय रिहिसे । कहे ज

आ जाओ साजना

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चित्र आधारित दोहे आ जाओ साजना नदी किनारे बैठकर , ताँक रही हूँ राह । कब आओगे साजना , भरती हूँ मैं आह ।। प्रेम लगन की आग से , जलती हूँ दिन रात । आ जाओ अब पास में  , कर लूं तुमसे बात ।। पथराई अब आँख हैं  , तोड़ो मत तुम आस । वर्षा कर दो प्रेम की , बुझ जाये सब प्यास ।। पायल बैरी पाँव में  , करती है झंकार । चूड़ी खनके हाथ में  , मत कर तू इंकार ।। ना माँगू मैं साजना , कोई मोती हार । बाँह पकड़ कर थाम लो , विनती बारंबार ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendra Dewangan Mati