चीन को ललकार
चीन को चेतावनी
(लावणी छंद)
आँख दिखाना छोड़ो हमको, नहीं किसी से डरते हैं ।
हम भारत के वीर सिपाही, कफन बाँध कर लड़ते हैं ।।
एक कदम तुम आगे आओ, पैर काट कर रख देंगे।
वतन बचाने के खातिर हम,इतिहास नया लिख देंगे।।
चलो नहीं अब चाल चीन तुम, हमसे जो टकराओगे।
याद करोगे नानी अपनी, पाछे फिर पछताओगे ।।
छोटी छोटी आँखें तेरी, बिल्ली जैसी लगते हो।
हाथ मिलाकर भारत से तुम, गद्दारी ही करते हो।।
व्यर्थ नहीं जायेगा अब ये , वीरों की यह बलिदानी।
बदला लेकर ही छोड़ेंगे, नहीं मिलेगा अब पानी ।।
रचनाकार
महेन्द्र देवांगन "माटी"
पंडरिया छत्तीसगढ़
Mahendra Dewangan Mati @
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 30 जून 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteधन्यवाद मैडम जी
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ReplyDeleteआँख दिखाना छोड़ो हमको, नहीं किसी से डरते हैं ।
ReplyDeleteहम भारत के वीर सिपाही, कफन बाँध कर लड़ते हैं ।।
क्या बात है सुजाता जी। आज हर भारतवासी के मन की यही बात और यही जज़्बा है। ओज भरी रचना के लिए हार्दिक शुभकामनायें🌹🌹🙏🌹🌹
महेन्द्र देवांगन "माटी" जी
ReplyDeleteबहुत ही सराहनीय रचना , इस समय पर हम सभी को ऐसी रचनाओं की आवश्यकता हैं जो हम सब में शक्ति बोध को और जव्व्ललित करे
ओज भरी रचना के लिए हार्दिक शुभकामनायें
सादर नमस्कार
धन्यवाद जोया जी
Deleteवाह!लाजवाब रचना !
ReplyDeleteधन्यवाद शुभा जी
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