शोभन छंद



(1)
आज बदलत हे जमाना  , देख ओकर चाल ।
बात ला माने नहीं अउ , ठाड़ राखय बाल ।।
बाप हा बरजत रथे गा , मान तैंहर बात ।
मारथे टूरा फुटानी , गुन कभू नइ गात ।।

(2)
पेड़ पौधा ला लगाके , छाँव सुघ्घर पाव ।
फूल फर मिलही सबो ला , बाँट के सब खाव ।।
गाँव आही आदमी मन , देख के खुश होय ।
जागही अब भाग सबके , बीज ला जब बोय ।।

रचना
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
Mahendra Dewangan Mati

विधान  --
शोभन छंद
14 + 10 = 24 मात्रा
3 , 10 , 17 , 21 , 24 मात्रा लघु
लाललाला  लाललाला, लाल लाल ललाल
2122        2122 ,  21  21  121

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