चौपाई छंद
(1) सुरता
लइकापन के आथे सुरता । पहिरे राहन चिरहा कुरता ।।
गुल्ली डंडा अब्बड़ खेलन । भौंरा बाँटी सबझन लेवन ।।
रेस टीप अउ छू छूवउला । घर घुँदिया अउ चुरी पकउला ।।
खो खो फुगड़ी खेल कबड्डी । लड़ई झगरा मिट्ठी खड्डी ।।
आमा अमली तेंदू खावन । सरी मँझनिया घुमेल जावन ।।
बइला गाड़ी दँउरी फाँदन । उलान बाँटी अब्बड़ खावन ।।
संझा बेरा सब सकलावन । मिल के सबझन गाना गावन ।।
कथा कहानी बबा सुनाये । किसम किसम के बात बताये ।।
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(2)
सरस्वती वंदना
जय जय वीणा धारी मइया । तोर परत हँव मँय हर पँइया ।।
ज्ञान बुद्धि के तैंहर दाता । सबके रक्षा करथस माता ।।
हंस सवारी कमल विराजे । तीन लोक मा डंका बाजे ।।
तोर शरण मा जेहर आथे । मनवांच्छित वो फल ला पाथे ।
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(3)
घर मा राँधे हावय भाजी । खाये बर हे सबझन राजी ।।
भाजी पाला अबड़ मिठाथे । चाँट चाँट के भैया खाथे ।।
झोला धर के भौजी जाथे । रोज बिसा के भाजी लाथे ।।
मुनगा भाजी जेहर खाथे । अबड़ विटामिन वोहर पाथे ।।
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(4)
जाड़ा भागे गरमी आ गे । तरिया नदियाँ सबो सुखागे ।।
चिरई चिरगुन प्यासा हावय । पानी खोजे सबझन जावय ।।
जंगल झाड़ी सबो सुखागे । घाम घलो हा अब्बड़ लागे ।।
लइका रोवय माँगे पानी । सुरता आगे सबला नानी ।।
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(5)
फागुन के महिना हा आ गे । बाग बगीचा सुघ्घर लागे ।।
फुलगे सेमर परसा लाली । निकले हावय गेहूँ बाली ।।
ढोल नँगाड़ा बाजत हावय । लइका मन हा गाना गावय ।।
नाचय कूदय सब सँगवारी । रंग लगाये पारी पारी ।।
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(6)
आगी तापो
आवव संगी आगी तापो । राम नाम के माला जापो ।।
देंहे अब्बड़ काँपन लागे । आगी तापो जाड़ा भागे ।।
हाथ गोड़ हा ठुठरत हावे । नाक कान सब्बो बोजावे ।।
डोकरा बबा आगी बारे । फूँक फूँक के छेना डारे ।।
शीत गिरत हे अब्बड़ भाई । सबके होगे हे करलाई ।।
काम बुता मा कइसे जाबो । पइसा नइहे काला खाबो ।।
चद्दर होगे छोटे संगी । आय गरीबी होगे तंगी ।।
काँपत हावय सबके हाड़ा । कइसे भागे अब तो जाड़ा ।।
महेन्द्र देवांगन माटी
नियम- - 16 - 16 मात्रा चार चरण
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