सुरतांजलि
सुरतांजलि लक्ष्मण मस्तुरिया सुरता आथे रहि रहि मोला, तोर गीत ला गावँव। छत्तीसगढ़ के मयारु बेटा, तोला माथ नवावँव।। जनम धरे तैं मस्तुरी म , मस्तूरिहा कहाये। बचपन बीतिस खेलकूद मा, लक्ष्मण नाम धराये।। तोर गीत हा सुघ्घर लागे, जन मन मा बस जाथे। संग चलव जब कहिथस तैंहा, कतको झन हा आथे।। अमर करे तैं नाम इँहा के, माटी के तैं हीरा। गिरे परे हपटे मनखे के, जाने तैंहर पीरा।। अरपा पैरी महानदी कस, निरमल हावय बानी। सब ला मया लुटाये तैंहर, हरिशचंद कस दानी।। छछलत हावय तुमा नार हा, घर घर मा तैं बोंये। सुरता करके आज सबोझन, अंतस ले गा रोये।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया कबीरधाम छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati