सर्वगामी सवैया
सर्वगामी सवैया ******************* (1) जुन्ना खेल नँदागे आ गे जमाना नवा खेल के जी पुराना सबो खेल संगी नँदागे। जाने न जुन्ना कहाँ खेल खेले न गिल्ली न डंडा सबो हा भगागे। कुश्ती ल जाने न मस्ती ल जाने धरे फोन हाथे म जम्मो समागे। टी वी ल देखे मचाये ग हल्ला सबो आदमी हा उही मा झपागे।। (2) मारे फुटानी मारे फुटानी चलाये ग गाड़ी गिरे हाथ टूटे छिलाये ग माड़ी। माने नहीं आज बाते ल कोनों कुदाये गली खोर जाये ग बाड़ी। फूटे कभू माथ टूटे भले दाँत चेते नहीं वो चलाये ल गाड़ी । धोखा ल खाथे परे मार डंडा बचाये न कोनों जुड़ाथे ग नाड़ी।। (3) बेटी ल जानो बेटी ल जानो ग बेटी ल मानो कभू कोख मा आज येला न मारो। लक्ष्मी सहीं होय बेटी ह संगी रखो प्रेम से रोज येला दुलारो। सेवा करे रोज दाई ददा के कभू भेद जाने न चाहे ग मारो। बेटा कभू संग देवे नहीं ता चले आय बेटी ह वोला पुकारो।। (4) नशा छोड़ो छोड़ो नशा पान बीड़ी ल संगी करे जेन जादा बिमारी ग होथे। पैसा न बाँचे न कौड़ी न बाँचे मरे हाल होथे सुवारी ह रोथे। होथे ग पीरा सबे लूट जाथे खुदे आदमी रोज काँटा ल बोंथे। आघू न सोंचे न पाछू ल देखे नशा जेन बूड़े ग पैसा