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चौपई छंद

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राम नाम के महिमा ( चौपई छंद) राम नाम के महिमा सार । बाकी हावय सब बेकार ।। भज ले तैंहा येकर नाम । बन जाही सब बिगड़े काम ।। जिनगी के हावय दिन चार । झन कर तैंहा अत्याचार ।। मोह मया ला तैंहर त्याग । खुल जाही जी तोरे भाग ।। ****************** (2) हमर देश ( चौपई छंद) सुनलव संगी सुनव मितान । देश हमर हे अबड़ महान ।। सबझन गाथे येकर गान । सैनिक चलथे सीना तान ।। गंगा यमुना नदियाँ धार । हरियर हरियर खेती खार ।। उपजाथे सब गेहूँ धान । खुश रहिथे गा सबो किसान ।। ************** (3) हनुमान जी (चौपई छंद) जय बजरंग बली हनुमान । सबले जादा तैं बलवान ।। महिमा हावय तोर अपार । कोनों नइ पाइन गा पार ।।  राम लला के तैंहर दूत । तोर नाम ले काँपय भूत ।। लेथे जेहा तोरे नाम । तुरते होथे ओकर काम।। रचनाकार महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़

मैगी

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जब ले आहे मैगी संगी , कुछु नइ सुहावत हे। भात बासी ला छोड़ के , मैगी ला सब खावत हे।। दू मिनट की मैगी कहिके , उही ला बनावत हे। माई पिल्ला सबो झन , मिल बाँट के खावत हे।। सब लइका ला प्यारा हावय ,  एकरे गुन ल गावत हे । स्कूल हो चाहे पिकनिक हो , मैगी धर के जावत हे।। लइका हो चाहे सियान,  सबला मैगी सुहावत हे । कोनो कोती जावत हे ,  पहिली मैगी बनावत हे।। कोनो आलू प्याज डार के, त कोनो सुक्खा बनावत हे। कोनो सूप बनावत त ,  कोनो सादा खावत हे।। फरा मुठिया के नइ हे जमाना , मैगी के  जमाना हे। दू मिनट की मैगी बनाके  ,  माइ पिल्ला ल खाना हे।। प्रिया देवांगन "प्रियू" पंडरिया जिला - कबीरधाम  (छत्तीसगढ़) Priyadewangan1997@gmail.com

प्यारा तोता

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प्यारा तोता (बाल गीत) तोता मेरा है अलबेला , दिन भर गाने गाता है । बड़े मजे से बच्चों के सँग , ए बी सी दुहराता है ।। कभी बैठता कंधे पर तो , कभी शीश चढ़ जाता है । बच्चों को वह देख देखकर,  आँखों को मटकाता है ।। लाल मिर्च है उसको प्यारा , देख दौड़ कर आता है । आम पपीता सेव जाम को , बड़े चाव से खाता है ।। घूमे दिन भर घर आँगन में  , बहुते शोर मचाता है । सुंदर प्यारा मेरा तोता ,  सबका मन बहलाता है ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ 8602407353 (ताटंक छंद)

गरमी ले बचव

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गरमी ले बचव गरमी के मौसम में बहुत गरम - गरम हवा चलत रहिथे । घर ले निकले के मन नइ करय । सूरज देव ह आकाश ले आगी बरसात रहिथे । धरती ह लकलक ले तीप जथे अउ अबड़ भोंभरा जरे ल धर लेथे । जादा घाम में निकले ले कई प्रकार के बीमारी घलो हो जथे । जइसे  --- आदमी ल चक्कर आ जाथे । फोड़ा फुंसी हो जाथे । पेट में पीरा होथे । अनपचक हो जाथे । उल्टी दस्त हो जाथे अउ बुखार भी हो जाथे । आदमी ल झोला (लू ) घलो लग जाथे । एकर सेती गरमी के मौसम में बहुत सावधानी बरतना चाहिए अउ गरमी ले बच के रहना चाहिए । मनखे ल कुछु न कुछु काम से बाहिर निकले ल पर जथे । त घाम ले बचे बर कुछ उपाय कर लेना चाहिए । झोला ( लू ) ले बचे के उपाय ------- (1) गरमी के मौसम में घाम ले बचे बर मुड़ में साफी बाँध लेना चाहिए या छाता धर के जाना चाहिए । (2) पानी के उपयोग जादा करना चाहिए । हमेशा पानी पी के बाहिर निकलना चाहिए । (3) खाली पेट नइ निकलना चाहिए । कुछ न कुछ खा पी के निकलना चाहिए । (4) नींबू पानी के उपयोग जादा करना चाहिए । (5) गोंदली ( प्याज ) ल जेब में धर के जाना चाहिए । (6) सूती कपड़ा के जादा उपयोग करना चाहिए । (7) जादा मिरची म

बाबा साहब

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बाबा साहब कठिन डगर पर चलकर जिसने , सबको राह दिखाया है । मानवता की खातिर उसने  , सब अधिकार दिलाया है ।। खून सभी का एक है बंधु , भेदभाव क्यों करते हो । ऊँचा नीचा जाति बताकर , आपस में क्यों लड़ते हो ।। भीमराव ने भीम प्रतिज्ञा  , पूरा कर दिखलाया है । ऊँच नीच का भेद मिटाकर , सबको आगे लाया है ।। संविधान है एक हमारा , एक हमारी माता है । भारत माता सबकी माता,  सबसे अपना नाता है ।। कठिन परिश्रम करके उसने,  ये संविधान बनाया है । जग में हुए महान वही तो , बाबा साहब कहाया है ।। रचनाकार महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़

नदियाँ

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नदियाँ ( सार छंद) कलकल करती नदियाँ बहती  , झरझर करते झरने । मिल जाती हैं सागर तट में  , लिये लक्ष्य को अपने ।। सबकी प्यास बुझाती नदियाँ  , मीठे पानी देती । सेवा करती प्रेम भाव से  , कभी नहीं कुछ लेती ।। खेतों में वह पानी देती  , फसलें खूब उगाते । उगती है भरपूर फसल तब , हर्षित सब हो जाते ।। स्वच्छ रखो सब नदियाँ जल को , जीवन हमको देती । विश्व टिका है इसके दम पर , करते हैं सब खेती ।। गंगा यमुना सरस्वती की  , निर्मल है यह धारा । भारत माँ की चरणें धोती , यह पहचान हमारा ।। विश्व गगन में अपना झंडा , हरदम हैं लहराते । माटी की सौंधी खुशबू को , सारे जग फैलाते ।। शत शत वंदन इस माटी को , इस पर ही बलि जाऊँ । पावन इसके रज कण को मैं  , माथे तिलक लगाऊँ ।। रचनाकार महेन्द्र देवांगन माटी (शिक्षक) पंडरिया छत्तीसगढ़ 8602407353 mahendradewanganmati@gmail.com

मतदान

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सुन लव संगी सुनव मितान । करलव सब झन गा मतदान ।। लोकतंत्र के इही अधार । तब होही जी नइया पार ।। नेता मन सब आही द्वार । माथ नवाही बारंबार ।। लालच दे के चलही चाल । फँसहू झन गा ओकर जाल ।। दारू मुरगा बाँटय नोट । जेकर मन मा हावय खोट ।। धोखा देके करथे चोट । देहू झन गा वोला वोट ।। परिचय पत्र ल धर के जाव । कोनों ला गा झन डर्राव।। छाप देख के बटन दबाव ।  वोट अपन गा देके आव ।। एक वोट के कीमत जान । कहना ला अब तैंहर मान ।। एक वोट ले होथे हार । काम बुता मा जावव डार ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendra Dewangan Mati चौपई छंद मात्रा  -- 15 + 15 = 30  अंत -- लघु गुरु