चौपई छंद
राम नाम के महिमा ( चौपई छंद) राम नाम के महिमा सार । बाकी हावय सब बेकार ।। भज ले तैंहा येकर नाम । बन जाही सब बिगड़े काम ।। जिनगी के हावय दिन चार । झन कर तैंहा अत्याचार ।। मोह मया ला तैंहर त्याग । खुल जाही जी तोरे भाग ।। ****************** (2) हमर देश ( चौपई छंद) सुनलव संगी सुनव मितान । देश हमर हे अबड़ महान ।। सबझन गाथे येकर गान । सैनिक चलथे सीना तान ।। गंगा यमुना नदियाँ धार । हरियर हरियर खेती खार ।। उपजाथे सब गेहूँ धान । खुश रहिथे गा सबो किसान ।। ************** (3) हनुमान जी (चौपई छंद) जय बजरंग बली हनुमान । सबले जादा तैं बलवान ।। महिमा हावय तोर अपार । कोनों नइ पाइन गा पार ।। राम लला के तैंहर दूत । तोर नाम ले काँपय भूत ।। लेथे जेहा तोरे नाम । तुरते होथे ओकर काम।। रचनाकार महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़