पढ़व लिखव
सुन लव संगी सुनव मितान । पढ़ लिख के गा बनव महान ।। पढ़बे लिखबे मिलही ज्ञान । होही तब तुँहरे कल्यान ।। बस्ता धर के पढ़ेल जाव । पढ़ लिख के सब नाम कमाव । अव्वल नंबर सबझन आव । पुरखा के सब नाम जगाव ।। कहिनी किस्सा सुनहू रोज । बन वैज्ञानिक करहू खोज ।। भागव झन जी जावव सोज । विद्यालय मा करहू भोज ।। खाये बर गा मिलथे भात । मारव झन तुम येला लात ।। माटी के जी मानव बात । झनकर बेटा तैंहर घात ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ चौपई छंद मात्रा -- 15 + 15 = 30 पदांत -- गुरु लघु