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पढ़व लिखव

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सुन लव संगी सुनव मितान । पढ़ लिख के गा बनव महान ।। पढ़बे लिखबे मिलही ज्ञान । होही तब  तुँहरे कल्यान ।। बस्ता धर के पढ़ेल जाव । पढ़ लिख के सब नाम कमाव । अव्वल नंबर सबझन आव । पुरखा के सब नाम जगाव ।। कहिनी किस्सा सुनहू रोज । बन वैज्ञानिक करहू खोज ।। भागव झन जी जावव सोज । विद्यालय मा करहू भोज ।। खाये बर गा मिलथे भात । मारव झन तुम येला लात ।। माटी के जी  मानव बात । झनकर बेटा तैंहर घात ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ चौपई छंद मात्रा  -- 15 + 15 = 30 पदांत -- गुरु लघु

माता ला परघाबो

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आवत हावय दुर्गा दाई,  चलव आज परघाबो । नाचत गावत झूमत संगी , आसन मा बइठाबो ।। लकलक लकलक रूप दिखत हे , बघवा चढ़ के आये । लाली चुनरी ओढे मइया , मुचुर मुचुर मुस्काये ।। ढोल नँगाड़ा ताशा माँदर , सबझन आज बजाबो । आवत हावय दुर्गा दाई  , चलव आज परघाबो ।। नव दिन बर आये हे माता  , सेवा गजब बजाबो । खुश होही माता हमरो बर , अशीष ओकर पाबो ।। नव दिन मा नव रुप देखाही , श्रद्धा सुमन चढाबो । आवत हावय दुर्गा दाई  , चलव आज परघाबो ।। सुघ्घर चँऊक पुराके संगी , तोरन द्वार सजाबो। ध्वजा नरियर पान सुपारी  , वोला भेंट चढ़ाबो ।। गलती झन होवय काँही अब , मिलके सबो मनाबो । आवत हावय दुर्गा दाई  , चलव आज परघाबो ।।  रचनाकार महेन्द्र देवांगन माटी (शिक्षक) पंडरिया छत्तीसगढ़ 8602407353 सार छंद मात्रा  -- 16 + 12 = 28 पदांत -- दो गुरु

मोर ( मयूर)

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घोर घटा जब नभ में छाये , अंधकार छा जाता है । बादल गरजे बिजली कड़के , मोर नाचने आता है ।। जंगल में यह दृश्य देखकर  , मन मयूर खिल जाता है । खुश हो जाते जीव जंतु सब  , भौरा गाने गाता है । पंखो को फैलाये ऐसे , जैसे चाँद सितारे हों । आसमान पर फैले जैसे  , टिम टिम करते तारें हों ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati 8602407353 ताटंक छंद नियम  -- मात्रा  -- 16 + 14 = 30 पदांत -- तीन  गुरु अनिवार्य

जागो

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जाग सबेरे चिड़ियाँ चहके , कोयल गाना गाये । कमल ताल में खिले हुए हैं  , सबके मन को भाये ।। रंभाती हैं गैया देखो  , बछड़ा भी  रंभाये । दाना पानी लेकर अब तो , मोहन भैया आये ।। उठ जाओ अब सोकर प्यारे  , मुर्गा बाँग लगाये । आलस छोड़ो बिस्तर त्यागो , सबको आज जगाये ।। माटी पुत्र चले खेतों में  , हल को लेकर जाये । इस माटी का कण कण पावन,  माथे तिलक लगायें ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ 12/04/19 Mahendra Dewangan Mati सार छंद मात्रा  -- 16 + 12 = 28 पदांत -- एक गुरु या दो लघु दो गुरु आने से लय अच्छा बनता है ।

आतंकवादी

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भारत माँ के रक्षा खातिर  ,  कूद परे हे वीर जवान । गोला बारुद फेंकत हावय , कर बैरी ला लहू लुहान ।। आँख देखाथे बैरी जेहा , ओकर आँखी देबो फोर । चेत जही जी देखे बर वो , नस नस ला हम देबो टोर ।। बार बार चेतावत हावन , सुन रे बैरी पाकिस्तान । कहना हमर मान ले तैंहा , ले लेबो अब तोरे जान ।। आतंकी के सेवा करथस , मानाथस तैं ओकर बात । कठपुतली कस नाच नचाथे , देखे हन तोरे औकात ।। कुकुर गती हो जाही तोरे , सुन ले अपन खोल के कान । दस हाथी के ताकत रखथे , भारत माँ के एक जवान ।। छेड़े हस तैं हमला तैंहा , नइ देवय अब कोनों साथ । बिच्छी मंतर जानत नइ हस , साँप बिला मा डारे हाथ ।। माँग प्रेम से तैहर हमला , दूध नहीं हम देबो खीर । अउ माँगबे कश्मीर तैंहा , उही जगा हम देबो चीर ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendra Dewangan Mati आल्हा छंद नियम  - 16 + 15 = 31 मात्रा पदांत -- गुरु लघु अतिश्योक्ति अंलकार

घाम के दिन

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चैतू रेंगत जावय गाँव । चट चट जरथे वोकर पाँव ।। रुख राई के नइहे छाँव । कँउवा बइठे करथे काँव ।। सुक्खा परगे तरिया बोर । पानी नइहे कोनों छोर ।। खोजत हावय बड़ लतखोर । जावय नदियाँ कोरे कोर ।। सबझन आज लगावव पेड़ । बारी बखरी भाँठा मेंड़ ।। झन कर संगी मन ला ढेर । नइ ते होही भारी देर ।। रुख राई ले मिलही छाँव । दिखही सुघ्घर सबके गाँव ।। ककरो जरय नहीं तब पाँव । होही जग मा तुहरें नाँव ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati चौपई छंद मात्रा  -- 15 + 15 = 30 पदांत -- गुरु लघु

पानी अनमोल हे

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पानी हावय बड़ अनमोल । फोकट के तैं नल झन खोल ।।  राखव बचा बचा के आज । सबके बनही तब जी काज ।। पानी बिन जिनगी बेकार । हो जाही सबझन लाचार ।। मछरी जइसे तड़पे प्रान , सबके निकल जही गा जान ।। नदियाँ नरवा तरिया बोर , बिहना ले होवत हे शोर ।। पानी बर भौजी हा जाय । लड़ई झगरा करके लाय ।। एक कोस मा रामू जाय । काँवर धरके पानी लाय ।। थक के वोहा बड़ सुरताय । भौजी हा अब्बड़ चिल्लाय ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendra Dewangan Mati चौपई छंद विधान- -- मात्रा  -- 15 , 15 = 30 4 चरण अंत में गुरु लघु