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चौपाई छंद

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 ( 1) सुरता लइकापन के आथे सुरता । पहिरे राहन चिरहा कुरता ।। गुल्ली डंडा अब्बड़ खेलन । भौंरा बाँटी सबझन लेवन ।। रेस टीप अउ छू छूवउला । घर घुँदिया अउ चुरी पकउला ।।  खो खो फुगड़ी खेल कबड्डी । लड़ई झगरा मिट्ठी खड्डी ।। आमा अमली तेंदू खावन । सरी मँझनिया घुमेल जावन ।। बइला गाड़ी दँउरी फाँदन । उलान बाँटी अब्बड़ खावन ।। संझा बेरा सब सकलावन । मिल के सबझन गाना गावन ।। कथा कहानी बबा सुनाये । किसम किसम के बात बताये ।। ********************************************** (2) सरस्वती वंदना जय जय वीणा धारी मइया । तोर परत हँव मँय हर पँइया ।। ज्ञान बुद्धि के तैंहर दाता । सबके रक्षा करथस माता ।। हंस सवारी कमल विराजे । तीन लोक मा डंका बाजे ।। तोर शरण मा जेहर आथे । मनवांच्छित वो फल ला पाथे । ********************************************* (3) घर मा राँधे हावय भाजी । खाये बर हे सबझन राजी ।। भाजी पाला अबड़ मिठाथे । चाँट चाँट के भैया खाथे ।। झोला धर के भौजी जाथे । रोज बिसा के भाजी लाथे ।। मुनगा भाजी जेहर खाथे । अबड़ विटामिन वोहर पाथे ।। ************************************ (4) जाड़ा भागे गरम

नरवा गरवा घुरुवा बारी

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नरवा गरवा घुरवा बारी , जतन करव संगवारी । छत्तीसगढ़ ह आघू बढही , इही हमर चिन्हारी ।। नरवा ल सब बाँध के राखव , काम सबो के आही । जीव जंतु अउ बारी बखरी , सबके प्यास बुझाही ।। खेती करबो मिल के संगी , पानी पलही बारी । छत्तीसगढ़ ह आघू बढही , इही हमर चिन्हारी ।। नरवा गरवा .............................. जतन करव सब गरवा मन के , अब्बड़ नफ्फा हाबे । मिलही गोबर छेना सब ला , दूध दही ला पाबे ।। लक्ष्मी मानव येला संगी , बाँधव घरे  दुवारी । छत्तीसगढ़ ह आघू बढही , इही हमर  चिन्हारी ।। नरवा गरवा ................................. गोबर कचरा पैरा माटी,  घुरवा मा सब डारव । साफ सफाई राखव घर मा , कचरा ला सब टारव ।। गोबर खातु खेत मा डारव , होय फसल गा भारी । छत्तीसगढ़ ह आघू बढ़ही , इही हमर चिन्हारी ।। नरवा गरवा ...................................... बारी बखरी बोंवव सबझन  , भाजी पाला खावव । बेंचव टोर बजार म संगी , अब्बड़ पइसा पावव ।। बढ़ही सबके आमदनी हा , योजना हे सरकारी । छत्तीसगढ़ ह आघू बढ़ही , इही हमर चिन्हारी ।। नरुवा गरुवा .................................... महेन्द्र देवांगन माटी

फागुन की मस्ती

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फागुन आया मस्ती लाया , रंग गुलाल उड़ाये । बाग बगीचा सुंदर दिखते  , भौंरा गाना गाये ।। पीले पीले सरसों फूले , खेतों में लहराये । सोने जैसे गेहूँ बाली , सबके मन को भाये ।। खुश होकर के नाचे गोरी  , आँचल को लहराये । बाग बगीचा सुंदर दिखते  , भौंरा गाना गाये ।। ढोल नँगाड़ा बाज रहे हैं,  फाग गीत सब गाये । बच्चे बूढ़े सभी जनों ने , मिलकर शोर मचाये ।। खेले होली रंग लगाये , कीचड़ बहुत उछाले । आते न पहचान कोई अब , पक्का रँग सब डाले ।। माटी की सौंधी खुशबू भी  , सबके मन को भाये । बाग बगीचा सुंदर दिखते  , भौंरा गाना गाये ।। ( सार छंद में)  महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendra Dewangan Mati

कलम की ताकत

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समझ कलम की ताकत को अब , क्या से क्या कर देती है । कभी शांति की वार्ता लिखती , कभी युद्ध कर देती है ।। कभी किसी की प्राण बचाती , कभी प्राण ले लेती है । अपराधी को सीधा करती , फाँसी भी दे देती है ।। तलवारों से घावों बनता  , जो जल्दी भर जाता है । अगर कलम से लिखा गया तो , कभी नहीं मिट पाता है ।। (ताटंक छंद) महेन्द्र देवांगन माटी (शिक्षक) पंडरिया  (कबीरधाम) छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendra Dewangan Mati 

देश नहीं झुकने देंगे

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देश नहीं झुकने देंगे (लावणी छंद) दागो गोला आतंकी पर , बदला हमको लेना है । मारा है वो ईट फेककर ,  अब पत्थर से देना है ।। टूट पड़ो बैमानों पर अब , भाग कहीं ना जा पायें । खाल खींचकर मिर्चा भर दो , तड़प तड़प कर मर जाये ।। बहुत हुआ समझौता वादी , अब तो चुप ना बैठेंगे । आँख दिखाया है हमको तो,  गला पकड़ कर ऐठेंगे ।। बम बारुद की वर्षा होगी , भाग कहाँ तुम जाओगे । बील में छिपे गद्दारों को , खींच खींच कर लायेंगे ।। माटी की सौगंथ हमें हैं  , देश नहीं झुकने देंगे । छेड़ा है जब शेरों को तो , बदला अब जरूर लेंगे ।। महेन्द्र देवांगन "माटी" पंडरिया छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendra Dewangan Mati

शहीदों को नमन

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शहीदों को नमन आतंकी का अत्याचार , पड़ रहा है सब पर भार। नहीं छोड़ेंगे अब किसी को , करेंगे हम सब मिलकर वार। अपने वतन की रक्षा खातिर, जान की बाजी लगायेंगे । बदला लेंगे सब मिलकर , बारूद हम भी गिरायेंगे।। प्रिया देवांगन "प्रियू" पंडरिया जिला - कबीरधाम  (छत्तीसगढ़)

मेला

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मेला ( सार छंद) भीड़ लगे हे अब्बड़ भारी , सबझन जावत मेला । धक्का मुक्की होवत हावय , होवत रेलम पेला ।। कोनो करथे हरहर गंगे , कोनों डुबकी मारे । दर्शन करथे मंदिर जाके , पुरखा अपने तारे ।। फूल चढ़ाये कोनों संगी , कोनों नरियर भेला । धक्का मुक्की होवत हावय , होवत रेलम पेला ।। किसम किसम के खेल खिलौना , मेला मा सब आये । खई खजाना ले दे बाबू , लइका मन चिल्लाये ।। दाई लेवय गरम जलेबी , बाबू लेवय केला । धक्का मुक्की होवत हावय , होवत रेलम पेला ।। जगा जगा हे खेल तमाशा  , भीड़ लगे हे भारी । कोनों फेंकत पइसा कौड़ी , कोनों देवय गारी ।। जिनगी के मेला मा संगी , बहुते हवय झमेला । धक्का मुक्की होवत हावय , होवत रेलम पेला ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendra Dewangan Mati